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गोरखपुर हादसा : ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से अब तक 60 बच्चों की मौत !

गोरखपुर, 12 अगस्त : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के अगले दिन बीआरडी मेडिकल काॅलेज में बकाया धन की वजह से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। संख्या 60 को पार कर गयी है। नींद से जगा प्रशासनिक अमला और सरकार अब जांच के नाम पर कोरमपूर्ती में जुट गया है। सरकार के दो मंत्री अब घटना की जांच करने को गोरखपुर पहुंच रहे हैं।

बतादें कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने 69 लाख रुपये बकाया के चलते सप्लाई ठप कर दिया था। गुरुवार रात तकर30 बजे से ऑक्सीजन की किल्लत का खामियाजा बेचारे मरीजों को भगुतना पड़ा। शुक्रवार की शाम तक मारने वाले मरीजों की संख्या 30 के आंकड़ें को पार कर गयी थी। अब यह संख्या 60 को पार कर गयी है। 

हालांकि, मेडिकल काॅलेज प्रशासन बच्चों की मौत को ऑक्सीजन की कमी से होने के दावे को लगातार खारिज कर रहा है। अब लोगों की समझ से यह परे है कि आखिर इस गलती को छुपाने की कोशिश क्यों हो रही है और सरकार मेडिकल कालेज प्रशासन के सुर में सुर क्यों मिला रही है? लोग यह विचार करने को मजबूर हैं कि जिस सरकार की प्राथमिकता इन्सेफेलेइटिस का समूल नाश है, वह भला आंकड़ों के बाजीगर डॉक्टरों में हाथों की कठपुतली कैसे बन सकती है।

बीआरडी मेडिकल काॅलेज में बीते दो सालों से परिसर में लगे लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से इंसेफेलाइटिस वार्ड व नियोनेटल वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई जारी है। प्लांट से मेडिकल काॅलेज के करीब 300 मरीजों को प्रतिदिन ऑक्सीजन मुहैया कराई जा रही है।

बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन सप्लाई का ठेका लेने वाली फार्म का करीब 69 लाख रुपये बकाया है। भुगतान में देरी के चलते गुरुवार की शाम को फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी। फिर मेडिकल काॅलेज के नेहरू चिकित्सालय में हाहाकार मच गया। किसी तरह सुबह तक काम तो चल गया था लेकिन उसके बाद दिक्कतें शुरू हो गईं थीं।

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ऑक्सीजन नहीं मिलने के चलते अब तक 60 से अधिक मरीज काल के गाल में समा चुके हैं। बावजूद इसके प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए जिम्मेदारों पर कार्रवाई के बजाय जांच का हाईप्रोफाइल ड्रामा चल रहा है। कॉलेज प्रशासन की इस लापरवाही से हुई मौतों पर फिलहाल पर्दा डालने की कोशिश जारी है। इतना ही नहीं, अब इसमें शासन के शामिल होने की बू भी आने लगी है।

सरकारी प्रवक्ता द्वारा हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत वाली खबर को भ्रामक बताया जाना लोगों के गले नहीं उतर रही है। यह हवाला देना कि 11 अगस्त को विभिन्न रोगों के चलते बीआरडी कॉलेज में सात मौत हुई है, ऑक्सीजन न होने के कारण एक भी मौत नहीं हुई है। पूर्वांचल की जनता की पीड़ा पर नमक छिड़कने जैसा है।

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सरकारी दावे के मुताबिक अगर ऑक्सीजन सिलिंडर सप्लाई करने वाली कंपनी ने 3 और 10 अगस्त को यह चेतावनी दे दिया था कि भुगतान न होने की स्थिति में सप्लाई बाधित होगी, तो जिम्मेदारों ने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को क्यों नहीं दी। मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी देना इसलिए भी जरूरी था कि यह उनका ही चुनावी क्षेत्र है। जानकारी देने से शायद धन का भुगतान नौनिहालों की मौतों के पहले ही हो गया होता।

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