गुजरात चुनावः ‘तुम्हीं से मोहब्बत तुम्हीं से लड़ाई’
अहमदाबाद,18 नवम्बर : ‘तुम्हीं से मोहब्बत तुम्हीं से लड़ाई’ शायर की ये पंक्तियां गुजरात विधान सभा चुनाव और मतदाताओं की स्थिति को बयां करने के लिए सटीक लगती हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दे इस चुनावी बयार में जरूर तैर रहें हैं, पर इसका मतलब यह हरगिज नहीं कि गुजरात का मतदाता भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नाराज है। व्यवसायिक तबका जीएसटी को लेकर केंद्र की नीति से नाखुश है, किंतु वह भाजपा के सत्ता वापसी को लेकर निश्चिंत है।
अहमदाबाद शहर के सिंधी बाजार के दुकानदारों में जीएसटी को लेकर रोष है। यहां के व्यापारियों ने हफ्तों तक जीएसटी के विरोध में अपनी दुकानें बंद रखीं, किंतु उनका भरोसा नरेन्द्र मोदी और भाजपा की सरकार से डिगा नहीं है। सिंधी बाजार में मुख्यत कपड़ों की ही दुकानें हैं और यहां ग्राहकों का जबरदस्त जमघट लगा रहता है। जीएसटी के बाद इस बाजार में ग्राहकों की आवाजाही में गिरावट आई है। यहां के दुकानदार जीएसटी को लेकर नाखुश हैं। इस बाजार के आखिरी छोर पर अपनी दुकान पर बैठे राजेश भाई कहते हैं कि धंधा फीका हो गया है। चुनाव में भाजपा को जीएसटी के कारण नुकसान होने की बात पूछे जाने पर राजेश का सीधे तौर पर कुछ नहीं कहते पर उनकी बातों से भाजपा की वापसी और भाजपा शासन में ही भरोसा दिखता है।
शहर के उस्मानपुरा इलाके में फार्मेसी की थोक दुकान चला रहे विष्णु भाई बताते हैं कि जीएसटी ने व्यापार और व्यापारियों पर असर डाला है। सरकार को इसे लागू करने से पहले व्यापारियों के हितों का भी ख्याल करना चाहिए था। हालांकि, कांग्रेस द्वारा जीएसटी को मुद्दा बनाने के मुद्दे पर वह नाराजगी जताते हैं। विष्णु का कहना है कि कांग्रेस भी होती तो जीएसटी लागू करती। वह तो पहले ही लागू करने की कोशिश में थी। अब वह इसको लेकर खालिस वोट की राजनीति कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव गांधी भवन के ठीक सामने जनरल स्टोर की दुकान चला रहे गुरमीत सिंह कहते हैं कि कुछ भी हो इस बार भी भाजपा ही सत्ता में लौटेगी। वोट और सीटें भले कम हो पर सरकार उसी की बनेगी। कांग्रेस मुख्यालय से थोड़ी दूर स्टेशनरी की दुकान के मालिक राधव भी भाजपा की सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि भाजपा के शासन में हम सुरक्षित हैं। कुछ भी हो जाए जब बड़ा प्रधान सूबे के चुनावी प्रचार दौरे पर निकलेगा तो स्थिति साफ हो जाएगी। (अजीत पाठक)।