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राजनीति और सेना को मिलाना ठीक नहीं: सत्यव्रत चतुर्वेदी

नई दिल्ली, =  विपक्ष द्वारा सेनाध्यक्ष के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवाल और राजनीतिक घमासान के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने इस मसले पर राजनीति और सेना को मिलाना गलत करार दिया है।
कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने सोमवार को कहा, ‘अार्मी चीफ की नियुक्ति पर उठे सवाल ठीक नहीं हैं। राजनीति और सेना को मिलाना नहीं चाहिए। केवल वरिष्ठता ही पैमाना नहीं हो सकता। फिर भी सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।’

दरअसल विपक्ष का आरोप है कि पूर्वी कमांडर ले.ज. प्रवीण बख्शी और दक्षिणी कमांड के प्रमुख ले.ज. पीएम हारिज रावत के मुकाबले सीनियर थे। कांग्रेस और लेफ्ट के अनुसार दो वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज कर रावत की नियुक्ति किया जा रहा है।

इससे पहले प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि ले. जनरल रावत की क्षमताओं को लेकर शक नहीं है, लेकिन सरकार को ये जवाब जरूर देना चाहिए कि इस सिलेक्शन में सीनियर्स की अनदेखी क्यों की गई। वहीं कांग्रेस के नेता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट कर कहा था कि ‘मोदी सरकार ने यह फैसला इसलिए किया ताकि हारिज सेनाध्यक्ष न बन सकें जो कि मुस्लिम हैं।’ हालांकि मनीष तिवारी ने इससे असहमति व्यक्त की लेकिन उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम का अनुमोदन होने के बावजूद सरकार औपचारिक रूप से अधिसूचना क्यों नहीं जारी कर रही है।

वहीं भाकपा के डी राजा ने कहा कि सीबीआई के कार्यकारी निदेशक, न्यायपालिका, सीवीसी जैसे पदों पर नियुक्ति भी विवादित हो गई है और इसकी जिम्मेदार सरकार है। उन्होंने कहा कि सरकार को कई सवालों के जवाब देने होंगे। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति के समय वरिष्ठता क्रम की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।

इस सवाल पर रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ले.ज. रावत की नियुक्ति में प्रक्रिया का पालन हुआ है और उसमें भारत के सामने मौजूद चुनौतियों का ख्याल रखा गया है। रावत के पास उग्रवाद के खिलाफ दस साल का अनुभव भी रहा है। वह पाकिस्तान सीमा और चीन सीमा पर आपरेशन का हिस्सा भी रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि रावत इंडियन मिलेट्री एकेडमी (आईएमए), देहरादून से ग्रेजुएट हैं। 1978 में यहां से उन्हें ग्यारहवीं गोरखा रायफल्स (5/33GR) की पांचवीं बटालियनल में कमीशंड मिला। आईएमए में उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। उन्हें ऊंचाई वाले स्थानों पर युद्ध और काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन का बहुत अनुभव है। सरकार ने शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया आर्मी चीफ बनाया था।

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