केंद्र सरकार ने कहा- पटना मेट्रो प्रोजेक्ट को अभी मंजूरी नहीं, राज्य सरकार ने लगाए आरोप
पटना, सनाउल हक़ चंचल-19 जून : केंद्र सरकार ने पटना मेट्रो प्रोजेक्ट को फिलहाल यह कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया है कि मेट्रो प्रोजेक्ट की पॉलिसी तय होने के बाद ही किसी मेट्रो प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी जाएगी। वर्ष 2013 से इस प्रोजेक्ट को लेकर राज्य सरकार प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार के पास इसकी डीपीआर व अन्य आवश्यक रिपोर्ट तैयार कर अंतिम रूप से दिसंबर, 2016 में ही भेज दिया गया है।
केंद्र के विभिन्न विभागों की ओर से इस प्रोजेक्ट को अनापत्ति प्रमाणपत्र दिये जाने की प्रक्रिया जारी थी। इसी बीच अब केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र लिख कर सूचित किया है कि जब तक मेट्रो पॉलिसी तैयार नहीं हो जाती, तब तक किसी भी मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रस्ताव की स्वीकृति नहीं दी जा सकती।
केंद्र सरकार के इस निर्णय से राज्य के मेट्रो प्रोजेक्ट को झटका लगा है। अब राज्य सरकार की भूमिका समाप्त हो गयी है। अब केंद्र के ऊपर निर्भर करता है कि वह कब तक मेट्रो पॉलिसी तैयार करती है। इसके बाद ही पटना मेट्रो प्रोजेक्ट पर सहमति मिलने की संभावना है।
राज्य सरकार ने 18 जून, 2013 को संकल्प जारी करते हुए पटना मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसको लेकर आम नागरिकों का सुझाव भी आमंत्रित किया गया। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 16960 करोड़ अनुमानित है।
प्रोजेक्ट को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने 28 जनवरी, 2015 को पटना मेट्रो इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया। 20 मई, 2015 को इसका प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के सामने किया गया।
राज्य कैबिनेट ने पटना मेट्रो प्रोजेक्ट को नौ फरवरी, 2016 को इसकी मंजूरी दी. प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार करने की जिम्मेवारी केंद्र सरकार की एजेंसी राइट्स की दी गयी थी। इसके लिए राइट्स को करीब तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
राज्य सरकार ने केंद्र की ओर से मांगी गयी रैपिड असेसमेंट रिपोर्ट दिसंबर, 2016 के अंतिम सप्ताह में केंद्र को भेज दी थी। पटना मेट्रो प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार की रिपोर्ट फरवरी में मिलने की उम्मीद थी। अब तक इसके कॉरिडोर का निर्धारण किया जा चुका है। तीन फेज में मेट्रो के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। पहले चरण में इस्ट-वेस्ट कॉरिडोर और नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर का निर्माण शामिल है।
राज्य सरकार वर्ष 2013 से पटना मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर तैयारी कर रही है। इसको लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसकी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करायी। इस डीपीआर को केंद्र सरकार के पास भेजा गया, तो तीन बार इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया। पहली बार तो इसे अधूरा डीपीआर बता कर नये सिरे से प्रस्ताव की मांग वर्ष 2016 में की गयी।
जब फिर से डीपीआर बना कर भेजी गयी, तो केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से ट्रैफिक के रैपिड असेसमेंट की रिपोर्ट की मांगी। इसके बाद राज्य सरकार ने रैपिड असेसमेंट रिपोर्ट भेजी। केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से इसका अध्ययन कर अनापत्ति प्रमाणपत्र देने की कार्रवाई की ही जा रही थी।
इस बीच केंद्रीय नगर विकास विभाग ने यह कहते हुए राज्यों के मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रस्तावों पर रोक लगी दी कि जब तक मेट्रो पालिसी नहीं बन जाती, तब तक किसी भी मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जायेगा।
राज्य सरकार का आरोप- प्रोजेक्ट जानबूझ कर लटका रहा केंद्र
नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि पटना मेट्रो को लेकर मैं तीन दिनों से केंद्रीय नगर विकास मंत्री से समय की मांग कर रहा हूं। अभी तक समय नहीं मिला है। केंद्र ने अाश्वासन दिया था कि दो माह में स्वीकृति दे देंगे। एक माह गुजर गया है।
हजारी ने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर गैर भाजपा शासित राज्यों के प्रोजेक्ट को लटका रही है। लगता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के समय केंद्र सरकार इसका राजनीतिकरण करेगी।
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