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केंद्र सरकार की नीति के विरोध में श्रमिक संगठनों का विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली, 15 फरवरी (हि.स.)। केंद्र सरकार की श्रमिक नीति को मजदूर विरोधी बताते हुए आज (गुरुवार) संसद मार्ग पर देश के प्रमुख श्रमिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन कर मोदी सरकार को श्रमिक विरोधी करार दिया है। खास बात ये है कि इसमें माकपा-कांग्रेस समर्थित श्रमिक संगठनों के साथ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित भारतीय मजदूर संघ भी शामिल है।

श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा है कि केंद्र की वर्तमान नीतियों से असंगठित क्षेत्र बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। मजदूरों का शोषण बढ़ गया है।

श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों ने केंद्र से महंगाई पर रोक, राशन प्रणाली को सर्वव्यापी बनाने, 3 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने, बेरोजगारी खत्म कर सभी को बेहतर नौकरी देने। समान काम के बदले समान वेतन देने, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण बंद करने की मांग रखी है। हालांकि, तीनों संगठनों के संयुक्त विरोध प्रदर्शन के बावजूद संख्या काफी कम रही जिससे ये विरोध प्रदर्शन फीका रहा लेकिन, सुरक्षा बलों का पर्याप्त दस्ता मौके पर मौजूद रहा। 

इसके साथ ही श्रमिक संगठनों ने 26 फरवरी को दिल्ली में होने वाले अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सम्मेलन का उद्घाटन करने वाले हैं। 

मजदूर संघ ने इसके साथ ही 20 फरवरी को भी आम-बजट के विरोध में देशव्यापी काला दिवस मनाने का निर्णय किया है। उस दिन देश के अलग-अलग स्थानों पर मज़दूर संघ के सदस्य काली पट्टी लगाकर विरोधस्वरूप काम करेंगे|

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