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किसी का शमशान में अंतिम संस्कार के बाद क्यों नहाते है लोग .?

धर्म नगरी उज्जैन =किसी का शमशान में अंतिम संस्कार करने के बाद लोग अपने –अपने घरो पर जाकर क्यों नहाते है. इसके पीछे क्या मान्यता है ? यह कभी आप ने सोचा है . ? या इसे जानने की कोशिश की है .? तो आज आप को बताते है इसके पीछे क्या वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यता है |

धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसकी मौत एक दिन निश्चित है चाहे वह राजा हो चाहे वह फ़क़ीर .जब किसी की मौत होती है तो उसके हसियत और उसके पहचान और सामाजिक कर्मो के हिसाब से उसके घरो पर लोग जमा होते है ,उसके बाद उसके शव यात्रा में लोग सामिल होते है,धर्म शास्त्रों के अनुसार शवयात्रा में शामिल होना और मृत शरीर को कंधा देना बड़ा ही पुण्य कार्य माना गया है।जिसके कारण लोग  बीच –बीच में शव को कंधा भी देते है , साथ ही  अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित रहने से इंसान को कुछ देर के लिए ही सही लेकिन जिंदगी की सच्चाई का आभास भी होता है और मन में वैराग्य होता है। शमशान जाने के आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। अक्सर आप ने देखा होगा की  शव यात्रा में सामिल लोग एक दुसरे से बात करते नजर आते है ,की सब जिंदगी में मोह माया है देखो इसने क्या –क्या नहीं किया आखिर आज वह सब कुछ यही छोड़ कर जा रहा है ,ऐसी कई भावनात्मक बाते करते है .

snan photoलेकिन जब वह शमशान से उसका अंतिम संस्कार करके घर वापस आते है , तो लोग अपने –अपने घरो में पंहुच कर पहले नहाते है , कई जगह नहाने के पहले कई टोटके भी किये जाते है जैसे घर पहुच कर पहले मिर्ची तोड़कर मुंह में डालकर उसे फेक देना फिर बाल्टी में रखे पानी से हाथ पैर धोना व अन्य कई और टोटके है . उसके बाद नहाना यंहा तक उस दरमियान लोग एक दुसरे को छूटे तक नहीं है . अगर लोगो से पूछा जाय की शम्शान जाकर आने के बाद नहाते क्यू है तो ज्यदातर लोगो को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं होता है।

स्नान के पीछे क्या है धार्मिक कारण ?

श्मशान से आने के बाद नहाने के पीछे कई धार्मिक कारण यह है.

@= शमशान  एक ऐसी जगह होती है जहाँ पर नकारात्मक शक्तियों का वास होता है। जो कमजोर दिल वाले व्यक्ति पर बहुत जल्द अपना कब्ज़ा कर लेती हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलायें ज्यादा भावुक और मानसिक रूप से कमजोर होती हैं, इसलिए उन्हें शमशान जाने की इजाजत नहीं होती है।

@= ऐसा माना जाता है कि शमशान में अंतिम संस्कार हो जाने के बाद भी मृत आत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहाँ मौजूद रहता है। जो किसी पर भी बुरे प्रभाव डालने की शक्ति रखती है।जिससे बचने के लिए घर पंहुच कर नहाना जरुरी होता है ,

@= पहले ज़माने में बहुत लोग हेपोटाइटिस ,और स्मालबाक्स नामक बीमारी से ग्रस्त रहते थे और इस बीमारी के इलाज के लिए किसी प्रकार की दावा उपलब्ध नहीं थी इसलिए ऐसी बीमारियों से बचने के लिए लोग शमशान से घर वापस आने के बाद  नहाते थे .तभी से यह परम्परा चली आरही है ,

@= इसके पीछे एक मान्यता यह भी है की शमशान से घर पर आकर नहाने से मरी हुयी आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख समृद्धि आती है , तभी से यह धारणा बन गयी की शमशान से आकर नाहा लेना चाहिए ताकि मरी हुयी आत्मा को शांति मिले और घर में सुख समृद्धि बनी रहे ऐसे और कई कारण है ,जिसके हिसाब से यह परम्परा चल रही है ,

स्नान के पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण?

शमशान  में अंतिम संस्कार के बाद स्नान करने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी है। अंतिम संस्कार से पहले ही शव काफी देर तक बाहर रहता है, इस वजह से वह वातारण के सूक्ष्म और संक्रामक कीटाणुओं से संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा मृत व्यक्ति का शव भी संक्रामक रोगों से ग्रसित हो जाता है। जो लोग वहाँ उपस्थित होते हैं, उन्हें भी संक्रमित होने का खतरा होता है। लेकिन जब भी व्यक्ति नहाता है तो, उसके संक्रमण के कीटाणु साफ़ हो जाते हैं। इसलिए संतिम संस्कार के बाद स्नान करने की प्रथा है। हालांकि की समय के साथ –साथ शहरो में यह प्रथा धीरे धीरे बदल रही है ,

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