नई दिल्ली, 27 दिसम्बर = प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार के निजी हमले और नोटबंदी के मुद्दे पर केंद्र खिलाफ हमले में ताकत दिखाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को दोपहर तीन बजे सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है लेकिन एकजुटता दिखाने में कांग्रेस नाकाम हो गई है। जेडीयू, एनसीपी और लेफ्ट ने इस बैठक से दूर रहने का फैसला किया है।
बैठक में कांग्रेस का साथ देने के लिए सिर्फ टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और आरजेडी प्रमुख लालू यादव पहुंचने वाले हैं, जबकि संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस की अगुवाई में कम से कम 14 दलों ने एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शन किया था। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के तमाम बड़े चेहरों ने संसद से लेकर सड़क तक सरकार को घेरने की कोशिश की थी। कांग्रेस अब इस मुद्दे पर अकेली पड़ती जा रही है।
विपक्ष के बाकी दलों ने कांग्रेस के निमंत्रण को जो अस्वीकार किया है| इसकी दो बड़ी वजह है। पहला यह कि वे दल कांग्रेस की बैठक में शामिल होकर ये संदेश नहीं देना चाहते हैं कि उन्होंने कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार लिया है। दूसरा, विपक्ष के कई दलों के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा है। जैसे पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और ममता बनर्जी के बीच, यूपी में एसपी और बीएसपी के बीच, पंजाब में कांग्रेस और केजरीवाल के बीच।
जेडीयू इस बात से नाराज है कि नोटबंदी के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार को गद्दार कह दिया था। वहीं लेफ्ट के बारे में खबर है कि वह इस बात से नाराज है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी संसद सत्र के आखिरी दिन अकेले अपने नेताओं के साथ प्रधानमंत्री से मिलने चले गये थे। विपक्ष का ये बिखराव कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बन गया है|
बैठक सोनिया गांधी की पहल पर बुलाई गई है।
दूसरी तरफ सूत्रों से जो खबर मिल रही है, उसके मुताबिक कांग्रेस के बड़े नेता बैठक का बॉयकॉट करनेवाले विपक्षी दलों को मनाने में जुटे हैं। उनकी कोशिश है कि अगर विपक्ष के बड़े नेता खुद नहीं आते हैं तो वो कम के कम अपने प्रतिनिधि के तौर पर किसी नेता को बैठक में भेज दें ताकि नोटबंदी पर विपक्ष की एकता का दावा किया जा सके।