1) नोटबंदी का फैसला– केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर, 2016 को 500 रूपये और 1000 रूपये के नोट की कानूनी वैधता समाप्त करने का फैसला किया । इसके साथ सरकार ने 30 दिसंबर, 2016 तक देश के नागरिकों को दोनों मूल्य के पुराने नोट बैंक में अपने खातों में जमा करने को कहा । इसके साथ ही सरकार ने 2000 रूपये और 500 रूपये का नया नोट जारी किया । आंकडो़ं के मुताबिक पांच सौ और हजार के नोट का बाजार में चलन में रही नगदी में 87 फीसदी हिस्सा हो गया था । ये भी माना गया कि भारतीय बैंकों से निकले 6 लाख करोड़ रूपये कीमत के 500 और 1000 रूपये के नोट वापस बैंकों में या बाजार में नहीं आए । वो लोगों के घरों, तहखानों में काले धन के रूप में रखे गए थे।
2) बैंकिंग व्यवस्था में भ्रष्ट्राचार– सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद देश के बैंकिंग सिस्टम में फैले भ्रष्ट्राचार का बड़े पैमाने पर खुलासा हुआ। 8 नवम्बर के बाद जब सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने देशभर में छापे मारे तो सैकड़ों लोगों के पास से 2000 रूपये के नए नोट बरामद हुए। सरकार ने भी माना कि काले धन के कारोंबारियों को लाखों-करोड़ों कीमत के दो हजार रूपये के नोट बैंकों के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते मिले।
3) डिजिटल इकानॉमी की ओर बढ़ते कदम– नोटबंदी के बाद बाजार में नगद की कमी के चलते लोगों ने डिजिटल पैमेंट को अपनाना शुरू किया। सरकारी और गैर-सरकारी पेमेंट एप्प के उपयोगकर्ता बढ़े। पेटीएम, रूपे जैसे एप्प की जानकारी घर-घर तक पहुंची। ऑनलाइन खरीदारी में बढ़त देखी गई।
4) टाटा- मिस्त्री विवाद- टाटा समूह के प्रमुख रहे साइरस मिस्त्री को हटाना और उसके बाद रतन टाटा- साइरस मिस्त्री के बीच की टसल भारतीय और अंर्तराष्ट्रीय मीडिया में छाई रही। टाटा ग्रुप की कंपनियों से एक- एक करके साइरस मिस्त्री को हटाया जाने लगा । इसके बाद साइरस मिस्त्री धड़े ने भी टाटा समूह पर कई आरोप लगाए । वहीं रतन टाटा को अंतरिम तौर पर टाटा समूह के प्रमुख की भूमिका में पुन: नियुक्त रखा गया । साल 2016 के अंत तक टाटा समूह – साइरस मिस्त्री के बीच की कॉर्पोरेट लड़ाई जारी रही।
5) गोल्ड के दाम में भारी उतार-चढ़ाव- गोल्ड कीमतों में भी पूरे साल उतार-चढ़ाव देखा गया । इतना जरूर रहा कि सोने की कीमतों का ग्राफ पूरे साल के हिसाब से सकारात्मक रहा । साल 2016 के पहले ही दिन सोने की कीमत ने अपने न्यूनतम स्तर को छुआ और 24910 रूपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। वहीं 6 जुलाई को सोने की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर पहुंची और सोना 32336 रूपये तक पहुंचा।
6) रिलायंस जिओ का आगाज़- रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड ने जिओ नाम से सेलुलर सेवा के बाजार में प्रवेश किया। लॉन्च के साथ ही जिओ ने अपने उपभोक्ताओं को फ्री डाटा सर्विस देना शुरू किया । इतना ही नहीं कंपनी ने बाद में उपभोक्ताओं को 31 मार्च, 2017 तक फ्री सेवा देने का एलान किया । कंपनी ने दावा किया है कि वो जल्दी ही 10 करोड़ उपभोक्ताओं का साथ पा लेगी ।
7) भारतीय रिजर्व बैंक – ये साल आरबीआई के लिए बहुत से परिवर्तन का साल रहा । पहले आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन के कार्यकाल की समाप्ति के बाद उन्हें मिलने वाले सेवाविस्तार को लेकर कई दिनों तक गहमागहमी रही। उसके डिप्टी गर्वनर रहे उर्जित पटेल आरबीआई के गर्वनर बनाए गए । साल के अंत में विरल आचार्य को डिप्टी गर्वनर बनाया गया । ये तीनों ही लंबे समय से अमेरिका में अपनी सेवाएं दे रहे थे।
8) अंर्तराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में डॉलर, यूरो, पौण्ड के मुकाबले रूपया-
अंर्तराष्ट्रीय मुद्रा विनिमय बाजार में भारतीय रूपया पूरे साल मजबूत और कमजोर होता दिखा । रूपये का डॉलर, यूरो, पौण्ड जैसी मुद्राओं के मुकाबले मूल्य वर्ष भर कम-ज्यादा होता दिखा। डॉलर के मुकाबले रूपये ने 25 फरवरी और 23 नवंबर को अपने न्यूनतम स्तर को छुआ और कमजोर होकर क्रमश: 68.75 रूपये और 68.78 रूपये रहा । वहीं 4 अप्रैल, 19 अप्रैल, 6 सितम्बर और 8 नवम्बर को डॉलर के मुकाबले रूपया अपने सबसे मजबूत स्तर पर दिखा और डॉलर का मूल्य 66.10 रूपये, 66.15 रूपये, 66.28 रूपये और 66.24 रूपये के स्तर पर पहुंचा ।
डॉलर के मुकाबले रूपया जनवरी के तीसरे हफ्ते से फरवरी के अंत तक कमजोर रहा । इसी दौरान रूपया डॉलर के मुकाबले अपने सबसे कमजोर स्तर तक भी पहुंचा । इसी तरह नवंबर के तीसरे हफ्ते से पहले हफ्ते के अंत तक रूपया डॉलर के मुकाबले एक बार फिर कमजोर दिखा । इसी दौरान रूपये दूसरी बार डॉलर के मुकाबले अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुंचा था ।
इसी क्रम में मार्च के तीसरे हफ्ते से मई के दूसरे हफ्ते के अंत तक रूपया डॉलर के मुकाबले मजबूत रहा। इसी दौरान रूपये ने दो बार डॉलर के मुकाबले अपनी मजबूती के स्तर को छुआ । इसी तरह सितम्बर माह की शुरूआत से नवम्बर के मध्य तक रूपया फिर डॉलर के मुकाबले मजबूत दिखा ।