एक फीसदी अमीरों के पास है 73 फीसदी संपत्तियों पर कब्जाः सर्वे
मुंबई, 22 जनवरी (हि.स)। इंटरनेशनल राइट्स ग्रुप ऑफ ऑक्सफैम की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल भारत में जितनी संपत्ति का निर्माण हुआ, उसका 73 प्रतिशत हिस्सा देश के एक प्रतिशत धनाढ्य लोगों ने हथिया लिया है। सोमवार को ऑक्सफैम की ओर से जारी इस सर्वे रिपोर्ट में देश में बढ़ती आय असमानता की भयावह तस्वीर पेश की गई है।
संगठन के कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानिमा ने कहा कि आर्थिक प्रणाली की असफलता के कारण अमीरों की संपत्ति में जबर्दस्त उछाल आ रही है। दुनिया भर में अरबपतियों की संख्या 2,043 है, जिनमें से 90 प्रतिशत पुरुष हैं। क्रेडिट सूइस ने भी ग्लोबल वेल्थ डाटाबुक 2017 के आंकड़े पेश किए हैं। उनमें भी अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई और असमानता पर चिंता जताई गई है। सर्वे के मुताबिक, 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में महज एक प्रतिशत का ही इजाफा हुआ है। यह आंकड़ा सबसे गरीब भारतीयों का है जो देश की कुल आबादी का आधा है। सर्वे रिपोर्ट में बेरोजगारी की बढ़ती संख्या को भी रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के 60 लाख से ज्यादा बच्चों को प्राइमरी शिक्षा तक मुहैया नहीं हो रही है। वैश्विक स्तर पर भयावह स्थितियां हैं। सर्वे के मुताबिक, पिछले साल दुनिया की संपत्ति में जो इजाफा हुआ है, उसका 82 प्रतिशत हिस्सा महज एक प्रतिशत अमीर आबादी के हाथ लग गया, जबकि दुनिया के 3.7 अरब लोगों की संपत्ति में कोई वृद्धि दर्ज नहीं हुई है। दुनिया भर में अमीरों की संपत्ति साल 2017 में 762 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।
गरीबों की यह संख्या विश्व की कुल आबादी के आधे हिस्से के बराबर है। ऑक्सफैम के सालाना असमानता रिपोर्ट और सर्वे के नतीजों पर दुनियाभर की नजर रहती है और इस पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सालाना सम्मेलन में भी चर्चा होती है। दावोस में होने वाले इस सम्मेलन के महत्वपूर्ण विषयों में आय असमानता की बढ़ती खाई और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दे प्रमुख होते हैं। पिछले साल के सर्वे में कहा गया है कि भारत की एक प्रतिशत आबादी के पास देश की कुल 58 प्रतिशत संपत्तियों पर कब्जा है। यह वैश्विक स्तर पर 50 प्रतिशत के आंकड़े से ज्यादा है। साल 2017 में इस एक प्रतिशत आबादी की संपत्ति में 20.9 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है।
यह रकम वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भारत सरकार की बजट राशि के बराबर आंकी गई है। रिवॉर्ड वर्क, नॉट वेल्थ – के नाम से जारी की गई इस रिपोर्ट में ऑक्सफैम की ओर से कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने आय की असमानता की जो खाई है, उसे और भी बढ़ाया है। धनाढ्यों के पास अकूत संपत्तियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि बेरोजगारी और गरीबी रेखा से नीचे होने के कारण लाखों-करोड़ों लोग सरकारी योजनाओं के सहारे जीने का संघर्ष कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर न्यूनतम मजदूरी पानेवाले किसी मजूदर की आय और किसी गारमेंट कंपनी के एक अधिकारी की साल की आमदनी का आकलन किया जाए, तो मजदूर को अधिकारी के एक साल की आमदनी की बराबरी करने में 941 साल लग जाएंगे। इसी तरह, अमेरिका में एक सामान्य कामगार सालभर में जितना कमाता है, उतना एक सीईओ एक दिन में ही कमा लेता है। सर्वे में 10 देशों के 70,000 लोगों से पूछताछ की गई।