उप्र. में पुलिस महानिदेशक की कुर्सी 19 दिन से खाली, पीएमओ में अटकी फाइल
लखनऊ, 19 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया सुलखान सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद जनवरी माह की शुरुआत से आज 19 तारीख तक पुलिस महानिदेशक की कुर्सी खाली है। इस कुर्सी पर नियुक्ति के लिए चर्चा में आये केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह का नाम वहां से पदमुक्त न होने के कारण अभी तक तय नहीं माना जा रहा है।
प्रदेश पुलिस मुख्यालय में शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक पद के लिए अलग-अलग अधिकारियों के नाम चर्चा में रहे। जहां वरिष्ठता के आधार पर चयन की बात की गई तो ब्राह्मण और क्षत्रिय फैक्टर पर भी अधिकारी चर्चा करते हुये मिले। कुछ अधिकारी तो दबी जुबान में यूपी को बिहार पसंद है अर्थात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार की ओर भी इशारा करते हुये दिखे। कुछ वरिष्ठ अधिकारी शासन स्तर से नाम तय होने तक कुछ भी कहने से बचते दिखे।
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) आनन्द कुमार के पास वर्तमान में पुलिस महानिदेशक पद का चार्ज है। उन्होंने 19 दिन तक कुर्सी खाली रहने पर कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून व व्यवस्था अपने स्थान पर ठीक है। इसी बीच कुछ अपराधी एन्काउन्टर में गिरफ्तार किये गये हैं। पुलिस अधीक्षकों द्वारा खुलासे किये जा रहे हैं और कानून व्यवस्था दुरूस्त है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को पुलिस विभाग द्वारा बंटने वाले मेडल की सूची पर आखिरी मोहर पुलिस महानिदेशक की लगती है, जो कार्य कार्यवाहक रहते हुये वह नहीं कर सकते हैं। इसलिये पुलिस महानिदेशक पद पर 26 जनवरी तक नियुक्ति होना सम्भव है। थोड़ा और इन्तजार कर लेना चाहिए।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम चर्चा में
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के पदभार न ग्रहण करने की स्थिति में कई अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का नाम चर्चा में हैं। कहा जा रहा है कि केन्द्रीय सेवा में तैनात पुलिस अधिकारी के न आने पर प्रदेश के अधिकारियों को यह महत्वपूर्ण पद देना चाहिए। इसके लिए वरिष्ठ आईपीएस भावेश कुमार, वरिष्ठ आईपीएस रजनीकान्त मिश्रा और वरिष्ठ आईपीएस डा. सूर्य कुमार शुक्ला का नाम प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी में चल रहा है।
प्रदेश सरकारों के पसंदीदा तय हुए हैं पुलिस महानिदेशक
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद पुलिस महानिदेशक के बदलने को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद को दूसरा मौका नहीं मिला। जबकि अखिलेश यादव की सरकार में जावीद अहमद का नाम वरिष्ठता क्रम से ऊपर उठाकर उन्हें सीधे पुलिस महानिदेशक बना दिया गया था।
इसी तरह मायावती सरकार में बृजलाल का नाम पसंदीदा तौर पर आने के बाद उन्हें प्रदेश का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था जिन्होंने बड़े माफियाओं और गैंगस्टरों को छिपने के लिए मजबूर कर दिया था। इसी क्रम में सुलखान सिंह का नाम भी जोड़ा जाये तो गलत नहीं होगा। उनका सेवा विस्तार भी इसी का हिस्सा रहा है।
वरिष्ठता के आधार होना चाहिए चयन
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की रेस में चल रहे एक अधिकारी ने दो टूक कहा कि शासन स्तर के फैसलों में उनका कुछ भी बोलना गलत होगा, लेकिन अगर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह पदभार ग्रहण नहीं करते हैं और दूसरा नाम तलाशा जाता है तो वरिष्ठता के आधार पर चयन होना चाहिए।
प्रधानमंत्री कार्यालय में अटकी फाइल
उत्तर प्रदेश के नये पुलिस महानिदेशक के रूप में चर्चा में आये ओपी सिंह के लखनऊ पहुंचने से पहले उनकी फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय में अटक गयी क्योंकि गृह मंत्रालय की ओर से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के प्रमुख पद से उन्हें अब तक मुक्त नहीं किया गया है।