उत्तर गुजरात: कठिन डगर भाजपा की
अहमदाबाद, 14 नवम्बर
गुजरात में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने इस सियासी समर को जीतने की कोशिशें तेज कर दी हैं। औद्योगिक रूप से विकसित इस सूबे में अब तक भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सत्ता की लड़ाई होती आ रही है। पूर्व के चुनावों में शुरू से ही माहौल का अंदाजा चल जाता था। अबकी बार यहां की तस्वीर तनिक जुदा नजर आ रही। इसका कारण 2015 में हुआ पाटीदार आंदोलन बताया जा रहा है। हार्दिक पटेल की अगुवाई में हुए उस आंदोलन की वजह से जो धूल तब उठी थी, वह यहां की सियासी हवा में अब भी तैर रही है। जिसकी वजह से विधानसभा चुनाव के शुरुआती दौर में फिलहाल तस्वीर धुंधली नजर आ रही।
गुजरात की राजनीतिक तस्वीर साफ करने में उत्तर गुजरात का इलाका खासा महत्वपूर्ण रहा है। पटेल बहुल इस इलाके में लंबे वक्त तक भाजपा की मजबूत पकड़ रही। किंतु 2012 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में कांग्रेस ने बढ़त हासिल कर ली। उत्तर गुजरात में 6 जिले आते हैं- बनासकांठा, पाटन, महेसाणां, साबरकांठा, अरावली और गांधीनगर। इन 6 जिलों में 32 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 17 पर कांग्रेस और 15 पर भाजपा का कब्जा है। बनासकांठा जिले की 9 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास 4 और कांग्रेस के कब्जे में 5 सीटें हैं। पाटन जिले की 4 सीटों में से 3 पर भाजपा और 1 पर कांग्रेस का कब्जा है। महेसाणां जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं, इनमें 5 भाजपा और 1 कांग्रेस के पास हैं। राज्य के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल महेसाणां सीट से ही विधायक हैं। साबरकांठा की 4 सीटों में से 3 कांग्रेस और 1 भाजपा के पास हैं। अरावली जिले की तीनों सीटें कांग्रेस की झोली में हैं। जबकि अहमदाबाद से सटे गांधीनगर की 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर भाजपा और 3 पर कांग्रेस का कब्जा है।
पटेल आंदोलन का सर्वाधिक असर इसी इलाके में बताया जा रहा है। यही कारण है कि भाजपा उत्तर गुजरात के इस पूरे इलाके में ज्यादा सक्रिय है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बीते दिनों गांधीनगर टाउनहाल में मेहसाणां, गांधीनगर और अहमदाबाद के शक्ति केंद्रों (बूथ प्रभारियों) के प्रभारियों संग बैठक कर उन्हें जरूरी निर्देश दिए। भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच की चर्चा पर भरोसा करें तो इस उत्तर गुजरात के 15 भाजपा विधायकों में से 8 से 10 विधायकों के टिकट अबकी कटने तय हैं। उल्लेखनीय है कि मौजूदा वक्त में गुजरात विधान सभा में पटेल समुदाय से 44 विधायक भाजपा के हैं।
वहीं, हार्दिक पटेल के आंदोलन के बाद से सत्तापक्ष के खिलाफ बने माहौल का भरपूर लाभ उठाने के लिए कांग्रेस ने भी अपने घोड़े खोल दिए हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीते सोमवार को पाटन और मेहसाणां का दौरा किया। इस दौरान राहुल ने पाटन में दलित समुदाय की आस्था का केंद्र समझे जाने वाले एक मंदिर का दौरा भी किया। इस दौरान दलित आंदोलन के नेता जिग्नेश मेवाणी भी राहिल के साथ रहे। पाटन से निकल कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मेहसाणां में अलग-अलग कई सभाएं और बैठकें भी की।
अहमदाबाद-मेहसाणां हाइवे पर चांदपारा गांव की और जाने वाली सड़क पर तकरीबन 3 किलोमीटर आगे जाने पर घुमासन ग्राम पंचायत है। इस ग्राम पंचायत के सरपंच भरत भाई (30 वर्ष) यूं तो चुनावी मुद्दे पर बात करने से कतराते हैं, पर कुरदेने पर उनका कहना है कि भाजपा का संदेश ही अब तक इस इलाके के लिए काफी था। अब भाजपा के बड़े नेताओं को इस इलाके में मेहनत करनी पड़ रही है। भरत भाई के मुताबिक, नरेन्द्र मोदी के केंद्र में जाने के बाद से तस्वीर बदली है। भाजपा का वोट बैंक रहा पटेल समुदाय सूबे में नए नेतृत्व से संभल नही पाया।
वहीं, मेहसाणां कस्बे में जनरल स्टोर की दुकान चलाने वाले 51 वर्षीय जीतू भाई पटेल पिछले 4 चुनावों से भाजपा को ही वोट देते आएं हैं। उनका कहना है कि भाजपा को भी पटेलों की कद्र करनी चाहिए। वह नितिन पटेल को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। हालांकि, जीतू भाई इस बात से आश्वस्त हैं कि बड़ा प्रधान (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र भाई के मैदान में उतरने के बाद सब दुरुस्त हो जाएगा।
खैर, अभी चुनावी बयार शुरु हुई है। उत्तर गुजरात के इस इलाके में मतदान दूसरे चरण में होना है। इसमें अभी एक महीने का वक्त है। तब तक माहौल क्या रूख लेगा ये देखना दिलचस्प होगा। (अजीत पाठक)।