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इन आंखों की मस्ती में मस्ताने हजारों हैं,उमराव जान की कब्र पर प्रशंसकों ने दी श्रद्धाजंलि

वाराणसी, 26 दिसम्बर (हि.स.)। अपने समय की मशहूर नृत्यांगना उमराव जान को उनकी बरसी पर संगीत प्रेमियों और चाहने वालों ने शिद्दत से याद किया। मंगलवार को अपरान्ह दरगाहे फातमान स्थित उमराव जान के नवनिर्मित मकबरे पर पर डर्बी शायर क्लब की अगुवाई में जुटे प्रशंसकों ने कब्र की साफ सफाई कर उस पर गुलाब की पंखुड़िया डाल शमा रोशन किया ।

इस दौरान प्रशंसकों ने नृत्यांगना पर बनी फिल्म उमराव जान के गीत इन आंखों की मस्ती में मस्ताने हजारों हैं,ये क्या जगह है दोस्तों आदि गाकर उमराव जान को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि एक वह दौर था जब उमराव जान की अदाओं उनके जलवों के हजारों दीवाने हुआ करते थे। उनका हुस्न और उनके आवाज की खनक लोगों के दिलो-दिमाग पर राज किया करती थी। 

शहर में चारों तरफ उनके गाने की धूम रहती जब भी मुजरा होता सैकड़ों आदमी टूट पड़ते। और आज एक दौर है कि उनका अंजुमन वीरान पड़ा है। गुबार ही गुबार है शायद ही कोई शख्स हो जो भूले से उनकी कब्र पर शमां जला जाए या अकीदत के दो फूल चढ़ा जाएं। कहा कि अपनी कब्र में लेटी उमराव जान आज उतना ही तनहा हैं जितनी जीवन के आखिरी दिनों में रही। जीवन के आखिरी दौर में उमराव जान वाराणसी में गुमनामी में रहती थी। न कभी महफिलें सजातीं और न ही मुजरा करतीं। सिर्फ नमाज पढ़तीं, कुरान की तिलावत करतीं व अपने रब से माफी-तलाफी में दिन गुजारा करतीं। कब्र पर अकीदत के फूल चढ़ाने वालों में शकील अहमद जादूगर,चिन्तित बनारसी,प्रमोद वर्मा,हैदर,बाले शर्मा आदि शामिल थे । 

कब्र पर अस्सी साल बाद बना मकबरा

उमराव जान की कब्र
उमराव जान की कब्र

दरगाहे फातमान में गुमनामी में डूबी उमराव जान की कब्र पर बरसी के ठीक एक दिन पहले बेशकीमती लाल पत्थरों से मकबरा बनकर तैयार हो गया । लगभग 80 साल बाद कब्र पर बने मकबरे को लेकर उमराव जान के प्रशंसकों में बेहद खुशी हैं। डर्बी शायर क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने बताया कि शिल्पी अरुण सिंह ने कब्रिस्तान में छह गुणा 10 फीट में मकबरा बनाया है। अष्टकोणीय चार खंभे पर पत्थर से बनी छतरी बहुत खूबसूरत है। बताया कि इस्लामिक रिवाज के अनुसार उमराव जान की कब्र ऊपर से खुली रखी गई है। बताया कि उमराव जान की कब्र होने के पुरातात्विक महत्व के पत्थर को मकबरे के पश्चिम तरफ स्थापित किया गया है । दक्षिण तरफ उमराव बेगम लखनवी का नया पत्थर लगा है। 

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