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इंद्रावती नदी में दिखे 12 मगरमच्छ.

जगदलपुर, 17 जनवरी = मगरमच्छों की घटती आबादी से चिंतित वन विभाग के लिए राहत की बात यह है कि दंतेवाड़ा जिले के छिंदनार इलाके में 12 से ज्यादा मगरमच्छ इंद्रावती नदी में देखे गए हैं, पांच किमी के दायरे में दर्जनभर मगरमच्छों की मौजूदगी स्वागतेय है।

बारसूर इलाके के कोड़नार घाट से लेकर छिंदनार तक नदी में मगरमच्छों को विचरण करते देखा जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक छिंदनार घाट में ही दो वयस्क और दो कम उम्र के मगरमच्छ अक्सर दिखाई पड़ते हैं। बड़े मगरमच्छ की लंबाई आठ से 10 फुट है, जबकि बच्चों की लंबाई इससे कुछ कम देखी गई है। मत्स्याखेट से जुड़े ग्रामीणों के मुताबिक छिंदनार घाट के ऊपर नदी के ऊपरी हिस्से में स्थित करका घाट और निचले हिस्से में स्थित डूंगा घाट में भी मगरमच्छों का डेरा है। कड़ाके की ठंड पड़ने के दौरान धूप निकलने पर मगरमच्छ पानी की सतह पर आ जाते हैं। कभी-कभी नदी के बीच उभरी हुई रेत के टीले पर पसरकर आराम फरमाते देखा जा सकता है। नाव की आवाजाही होने या कोई दूसरा खतरा भांपते ही गहरे पानी में समा जाते हैं।

एसडीओ फॉरेस्ट, सब डिवीजन गीदम ने कहा है कि दक्षिण बस्तर में मगरमच्छ कहीं-कहीं पर पाए जाते हैं। मगरमच्छों के संरक्षण के प्रति विभाग सजग रहता है। विभाग में वाइल्ड लाइफ की अलग विंग है। इसके बावजूद विभाग के सभी अफसर-कर्मी उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं।

उल्लेखनीय है कि बस्तर जिले की कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के भैंसादरहा झील सहित बायस्फियर इलाके के परेवां बाड़ी कुंड और कैलाश झील तथा इंद्रावती नदी के झापी दरहा में भी मगर देखे जा चुके हैं। स्थानीय बाशिंदों के मुताबिक मगरमच्छों ने अब तक किसी भी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया है। बीते कुछ साल से समय-समय पर मगरमच्छ यहां दिख जाते हैं, परंतु नाव पर मछली मारते लोगों को या नदी में नहाते लोगों पर हमला नहीं किया। स्थानीय लोग भी मगरमच्छों के आराम में कोई खलल नहीं डालते हैं।

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