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अयोध्या की शास्त्रीय सीमा के अंदर मस्जिद स्वीकार नहीं करेगा हिन्दू समाज: राजेन्द्र सिंह पंकज

Uttar Pradesh.लखनऊ, 22 मार्च = विश्व हिन्दू परिषद ने श्रीरामजन्मभूमि मसले पर मध्यस्थता कर रहे भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के उस बयान को खारिज किया है जिसमें सरयू के उस पार मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए जमीन देने की बात कही थी।

विश्व हिन्दू परिषद के नेता राजेन्द्र सिंह पंकज ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि अयोध्या की शास्त्रीय सीमा के अंदर किसी भी ढ़ांचे को हिन्दू समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि बाबर और औरंगजेब की वकालत करने वाले भारत के हितैषी नहीं हो सकते। देश का एक वर्ग विशेष राजनैतिक तुष्टिकरण से मदमस्त होकर देश के अस्मित चिन्ह श्रीरामजन्मभूमि को नकारना चहता है। हिन्दुओं का दावा पूर्णतः वैधानिक है और उसके लिये किसी भी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।

विहिप नेता ने कहा कि अयोध्या का विकास श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न होने की वजह से बाधित है, अयोध्या के किसी भी ऐतिहासिक धरोहर को सरकारी संरक्षण नहीं दिया गया। 67 सालों से अयोध्या राजनैतिक उपेक्षा का शिकार है। श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण होने से ही रामराज्य आयेगा। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण होते ही अयोध्या वैश्विक स्तर पर ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन केन्द्र बन जायेगा।

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राजेन्द्र सिंह पंकज ने कहा कि यदि यह विषय किसी पैगम्बर या मसीहा का होता तो ऐसा सौहार्दयपूर्ण आचरण देश के वर्ग विशेष और तुष्टिकरण की राजनीति से पोषित लोगों से नहीं की जा सकता था। वैश्विक स्तर पर दबाब बनाया जाता किन्तु हम आज भी संवैधानिक संस्थाओं पर आस्था रखते हैं और माननीय उच्चतम् न्यायलय के दिशानिर्देशों के अनुसार साझा बातचीत का स्वागत करते हैं। सहअस्तित्व, समता, समानता और बहुमत में भी अल्पमत के जनादेश के सम्मान का प्रतीक और आश्वासन भी रामराज्य ही है। विश्व हिन्दू परिषद को साम्प्रदायिक बताने वाले बौद्धिक दिव्यांगों को ये नहीं पता की श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिये संगठन द्वारा संवैधानिक लड़ाई माननीय न्यायालय के समक्ष सालों से शान्तिपूर्वक लड़ी जा रही है।

यह देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं के व्यक्तिगत आस्था का विषय नहीं हैस। देश के सांस्कृतिक अस्मिता का भी प्रश्न है। रामराज्य की ही अवधारणा हैं जहाँ सिंह और हिरण एक साथ एक नदीं का जल पीते हैं और पोषित होते हैं। सहअस्तित्व, समता, समानता और बहुमत में अल्पमत के जनादेश के सम्मान का प्रतीक और आश्वासन भी रामराज्य ही है। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण 85 करोड़ हिन्दुओं के आस्था के साथ देश के अस्मिता का प्रश्न है। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण धर्म का विषय है इसलिए संत समाज की धर्म संसद से ही यह निर्णय हो।

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