नई दिल्ली (17 जनवरी): कहते है भगवान के घर देर है अंधेर नहीं यह लाईने राम रहीम पर फिट बैठती है.साध्वी यौन शोषण के मामले में सुनारिया जेल में सजा भुगत रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। 16 साल पुराने मामले में कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा का ऐलान किया है।
इस मामले में राम रहीम के अलावा तीन अन्य दोषियों कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा सभी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि कोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा दी गई अर्जी के बाद सजा का ऐलान विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया।
सजा के ऐलान से पहले सीबीआई ने कोर्ट से गुरमीत राम रहीम को फांसी देने की मांग की थी। आपको बता दें कि राम रहीम इससे पहले साध्वी यौन शोषण के मामले में 20 साल की सजा काट रहा है और पत्रकार मामले में मिली उम्रकैद की सजा 20 साल की सजा पूरी होने के बाद शुरू होगी। इससे एक बात तो यह कि राम रहीम का जीते-जी जेल से बाहर निकलना बिल्कुल भी संभव नहीं है।खुद को भगवान बताने वाला राम रहीम एक निडर और निर्भिक पत्रकार से इतना डर गया था कि उसकी हत्या ही करवा डाली थी।
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने 16 साल पहले डेरा सच्चा सौदा के अंदर चले रहे राम-रहीम के घिनौने खेल को दुनिया के सामने रखा था। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति उन दिनों सिरसा से अपना सांध्य अखबार पूरा सच प्रकाशित करते थे। साध्वी का पत्र लोगों के बीच चर्चा का विषय बना तो उन्होंने साहस दिखाया और 30 मई 2002 को अपने अखबार में ” धर्म के नाम पर किए जा रहे साध्वियों के जीवन बर्बाद” शीर्षक से खबर छाप दी।
रामचंद्र छत्रपति ही वो बेखौफ पत्रकार थे, जिन्होंने 2002 में डेरा में होने वाले यौन शोषण से जुड़े एक गुमनाम खत को अपने अखबार में छापने की हिम्मत दिखाई थी।बलात्कारी राम-रहीम आज अगर जेल में है तो उसमें एक बड़ी भूमिका रामचंद्र छत्रपति ने निभाई थी। खबरों को लेकर रामचंद्र छत्रपति जूनूनी थे। वो हर छोटी-बड़ी खबर पर नजर रखते थे। सामने वाला भले ही कितना भी रसूखदार क्यों ना हो, छत्रपति उसकी परवाह नहीं करते थे।
डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी खबरों को भी वो अपने अखबार में लगातार छापते रहे। अच्छे काम की तारीफ के लिए तो बुरे काम की फजीहत के लिए। डेरा सच्चा सौदा के अंदर यौन शोषण की खबर को तमाम दबाब और धमकियों के बावजूद वो अपने पूरा सच नाम के अखबार में लगातार छापते रहे।रामचंद्र छत्रपति जब राम रहीम के सामने झुकने को तैयार नहीं हुए तो उनके गुर्गों ने हर तरह से उन्हें तंग करना शुरू किया।
अपनी सुरक्षा को लेकर उन्होंने 2 जुलाई 2002 को एसपी को एप्लीकेशन भी दिया था, लेकिन आखिरकार डेरा के गुंडों ने उनकी जान ले ही ली। 24 अक्टूबर 2002 को शाम को घर के बाहर बुलाकर गुर्गों ने गोली चलाई। 28 दिन हॉस्पिटलाइज रहने के बाद नवंबर में रामचंद्र ने दम तोड़ दिया।रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार के जरिए ये खुलासा भी किया था कि यौन शोषण मामले से घबराकर डेरा सच्चा सौदा के मैनेजरों ने साध्वियों और अभिभावकों ने शपथ पत्र लेना शुरू कर दिया।
उस शपथ पत्र में डेरे में शामिल होने वालों से ये लिखवाया जाता था कि वो अपनी मर्जी से ऐसा कर रहे हैं। ऐसा इसलिए करवाया जाने लगा ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की सूरत में डेरा पर उसका इल्जाम ना लगे। लेकिन रामचंद्र छत्रपति ने डेरा की ऐसी हर साजिशों का पर्दाफाश किया, जिसके चलते उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी थी ।