नई दिल्ली, 18 जनवरी= भारत सरकार की अग्रणी वैज्ञानिक संस्था, काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने अब बाजार में मिलने वाले कॉर्बोनेटेड शीतल पेय की तर्ज पर स्वास्थ्यवर्धक गन्ने का रस बाजार में उतारने का फैसला किया है। ये गन्ने का रस बाजार में बिकनेवाले पेय पदार्थों की तरह कैन और डिब्बाबंद होगा, जिससे इसे तीन से पांच महीने तक उपयोग में लाया जा सकेगा। इस पूरे प्रोजेक्ट में सीएसआईआर की कई लैबोटरीज़ मिलकर काम कर रही हैं| प्रोजेक्ट का जिम्मा लखनऊ में स्थित सीएसआईआर की लैब, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सीकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) को दिया गया है।
आईआईटीआर के निदेशक आलोक धवन के मुुताबिक भारत दुनिया के अग्रणी गन्ना उत्पादक देशों में से है। लंबे गर्मी के मौसम को देखते हुए गन्ने का रस एक बेहतर शीतल पेय माना जाता है। कॉर्बोरेटेड शीतल पेय के उलट गन्ने का रस कॉर्बोहाइड्रेट, प्रोटीन्स, मिनरल्स जैसे कैल्शियम, फोस्फोरस, आयरन, जिंक, पोटेशियन, विटामिन-ए, बी-कॉम्प्लेक्स और विटामिन-सी से परिपूर्ण होता है। वहीं कॉर्बोरेटेड शीतल पेय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक घोषित हो चुके हैं। गन्ने के रस का स्वच्छ उत्पादन और लंबे समय तक संरक्षण करनेे की व्यवस्था होने पर इसका तीन से पांच महीने तक उपयोग किया जा सकेगा।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. गिरीश साहनी के मुताबिक ये पहली बार है कि संस्था के अलग-अलग विभागों, लैबोटरीज़ के वैज्ञानिक एक जनोपयोगी प्रोजेक्ट के लिए एक साथ काम कर रहे हैं, जिसके बेहतर परिणाम होंगे।