वाशिंगटन, 07 नवम्बर : भारत और चीन के बीच रिश्ते में खटास आने की वजह पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर है। ऐसा अमरिकी विशेषज्ञों का मानना है।
विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में मसूद अजहर को शामिल कराने की भारतीय कोशिशों पर चीन हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगाता रहा है।
पिछले हफ्ते चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की कोशिश को रुकावट डाली थी। इसके लिए उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के बीच आम राय ना होने का हवाला दिया था।
हेरिटेज फाउंडेशन के जेफ स्मिथ ने कहा, “ मुझे लगता है कि यह चीन की तरफ से उठाया गया दुर्भाग्यपूर्ण कदम है और मैं संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के जाने पहचाने आतंकवादियों पर प्रतिबंधों को लगातार बाधित करने के लिए दिए गए तर्क पर सवाल करता हूं।” स्मिथ ने आगे कहा कि चीन के इस कदम को स्पष्ट तौर पर उसके सदाबहार दोस्त पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने के तौर पर देखा जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्य अमेरिका ने कहा कि किसी व्यक्ति या संस्था को 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल करने पर समिति की चर्चा गोपनीय है। न्यूयॉर्क में अमेरिकी मिशन के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बहरहाल, हम जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और नेता अजहर को 1267 प्रतिबंधों की सूची में शामिल करने की कोशिशों का समर्थन करेंगे और दूसरे सदस्यों को भी इसका समर्थन करने के लिए प्रेरित करेंगे।’’
अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के रिक रॉसोव ने कहा कि चीन का हालिया कदम भारत के आरोपों की पुष्टि की करता है। भारत का कहना है कि चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत है।
रॉसोव ने कहा कि इस फैसले का समर्थन करके चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को सुधार सकता था, लेकिन उसने अलग रास्ता चुना। उन्होंने आगे कहा कि चीन ने ऐसे समय पर चीन ने यह कदम उठाया है,जब अमेरिका ने आतंकवाद का समर्थन करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है। (हि.स.)।