साल-दर-साल अपने ही रिकॉर्ड तोड़ती योगी सरकार
– सियाराम पांडेय ‘शांत’
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पौधरोपण के मामले में अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। निर्धारित लक्ष्य 25 करोड़ से भी 87 हजार अधिक पौधे लगाना और वह भी कोरोना काल में, यह बड़ी उपलब्धि है। बकौल मुख्यमंत्री यह सब कोरोना काल में दो गज की दूरी बनाते हुए किया गया है। इसमें सरकारी विभागों ने ही नहीं, समाज के हर तबके ने सहयोग दिया है। सरकारी विभागों, स्वयंसेवी संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने भी अपने श्रम और समय का नियोजन किया है। अगर ऐसा है तो इसकी सराहना की जानी चाहिए। न कि आलोचना।
विडंबना इस बात की है कि अपने देश में अच्छे कामों का भी विरोध होने लगता है। गत वर्ष भी योगी सरकार ने 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए थे। उन्हें जियो टैग भी किया गया था। उनका देश की प्रतिष्ठित एजेंसियों से सत्यापन भी कराया गया। बकौल मुख्यमंत्री गत वर्ष लगाए गए 22 करोड़ पौधों में से 95 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। वे अखिलेश यादव के उन सवालों का जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने 22 करोड़ पौधे लगाने के सरकारी दावे को भ्रामक और गुमराहकारी बताया था। उन्होने यह भी कहा था कि सरकार बताए कि उसने गत वर्ष कितने पौधे कहां लगाए और उनमें से कितने सुरक्षित हैं।
तथ्य यह है कि योगी सरकार में कांग्रेस, सपा और बसपा शासन के मुकाबले नि:संदेह ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। अन्य सरकारों में पौधरोपण सरकारी उपक्रम तो था लेकिन उसमें सरकार और जनसहभागिता का स्तर नहीं के बराबर था। वह तो योगी सरकार है जिसने इस अभियान को पौधरोपण महाकुम्भ का नाम दिया और उसके नतीजे आज सबके सामने है।
योगी राज में पहली बार 2018 में 9 करोड़ पौधे लगाए गए थे।उन्होंने अगले सत्र में 35 करोड़ पौधे लगाने की लोगों से अपेक्षा की है। हमें इस बात पर भी विचार करना होगा कि यह सरकार पौधरोपण में विविधता ही नहीं, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की अनुकूलता का भी विचार कर रही है। सहजन का पौधा हर गरीब परिवार को उपलब्ध कराना उसकी इसी रणनीति का हिस्सा है। अखिलेश यादव को योगी सरकार में बने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड पर आपत्ति है तो वर्ष 2016 में गिनीज बुक में 5 करोड़ पौधरोपण के लिए उनकी सरकार का भी नाम आ चुका है। अपने कार्यकाल में उन्होंने भी 2012-13 में 39290146 पौधे लगवाए थे। 2013-14 में 45667661 पौधे लगे थे। 2014-15 में पौधरोपण की संख्या घटकर 32287602 हो गई थी। जो सवाल वे योगी सरकार पर आज उठा रहे हैं, वैसे ही सवाल उनकी सरकार में भी उठते रहे हैं। संख्या को लेकर तब भी संदेह व्यक्त किए जाते रहे। उनपर भी संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर बताने के आरोप लगते रहे हैं। इस सरकार ने फलदार पौधों के साथ ही औषधीय महत्व के पौधे भी लगवाए हैं, यह एक अच्छी बात है। गंगा-यमुना आदि नदियों की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए भी सरकार अगर पौधरोपण को जरूरी समझती है तो इसमें बुरा क्या है?
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सवाल का स्वागत किया जाना चाहिए। पौधे लगाना ही काफी नहीं है, उनकी सुरक्षा भी जरूरी है। योगी सरकार ज्यादा जवाबदेह है कि उसने ज्यादा पौधे लगवा दिए। गिनीज बुक में उसका नाम आ गया है। 22 करोड़ की संख्या बड़ी है। यह उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से थोड़ा ही कम है। लेकिन इसबार तो लगाए गए पौधों की संख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से भी एक करोड़ 87 लाख अधिक हो गई है। यह संख्या आसानी से किसी के भी गले नहीं उतरती लेकिन अगर काम होगा तो वह जमीन पर तो दिखेगा ही। इस प्रदेश का हर आदमी अगर एक पौधे लगा दे तो किसी वन महोत्सव की या फिर अलग आयोजन की जरूरत भी नहीं। आलोचक वर्ग को इतनी बात तो समझ में आनी ही चाहिए। सवाल यह है कि साल दर साल जितने पौधे लगाने के दावे किए जा रहे हैं, अगर उनके आधे भी पेड़ बन जाएं तो यूपी में पेड़ ही पेड़ नजर आएंगे।हरियाली ही हरियाली दिखेगी तो क्या आंकड़े बताने में गलती हो रही है। यह विचार का एक बिंदु हो सकता है।
देश में 1861 में वन विभाग का श्रीगणेश हुआ। यूपी में 1868 में वन विभाग की स्थापना हुई। यूपी वानिकी परियोजना वर्ष 1998 में शुरू की गयी। 2001 में ग्रीन योजना शुरू की गई। ईंधन एवं चारा प्रोजेक्ट तो 1990-91 में ही आरंभ हो गया था। 1952 से ही यूपी में वन महोत्सव मनाया जा रहा है। जिसका मंत्र वाक्य है-वृक्ष का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी का अर्थ है जीवन। स्टेट फारेस्ट रिपोर्ट -2017 बताती है कि प्रदेश में 6.09 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। वनों में पेड़ों की कटान जिस तेजी के साथ हुई है, वह भी किसी से छिपा नहीं है। अगर 1952 को ही पौधरोपण का आदर्श वर्ष मानें तो यूपी को शस्यश्यामल बनाने के लिए 68 साल कम नहीं होते। इसका मतलब है कि जिम्मेदारी ठीक से निभाई नहीं गई वार्ना आज तस्वीर का रुख कुछ और होता?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार के एक ही दिन में करोड़ों की तादाद में पौधरोपण को भाजपा का नया झूठ करार दे रहे हैं। पूछ रहे हैं कि इसके लिए जितनी जमीन चाहिए वह कहां है? एक हजार एकड़ क्षेत्र में 1.34 लाख वृक्ष लगते हैं। लगता है कि कागज पर ही पेड़ लगाकर अपना नाम दर्ज कराने का कारनामा भाजपा ने कर दिखाया है। उन्होंने दावा किया कि एक ही दिन में पांच करोड़ पौधे लगाने का रिकार्ड सपा शासन में हुआ था, जो गिनीज बुक में दर्ज है। सवाल यह उठता है कि सपा अगर चमत्कार कर सकती है तो भाजपा सरकार क्यों नहीं कर सकती?
उत्तर प्रदेश की 1762 नर्सरियों में वन विभाग द्वारा 44 करोड़ पौधे तैयार करने का दावा किया है।
पौधारोपण अच्छी बात है लेकिन पौधे निर्धारित मानक के अनुरूप ही लगाए जाने चाहिए तभी उसका फायदा भी है अन्यथा संख्या की होड़ में सब किया-धरा बेकार हो जाएगा। बाद में पेड़ों को काटने की नौबत न आए, इसका विचार अभी से कर लिया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। राजनीति में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए लेकिन अनावश्यक आलोचना से बचा जाना चाहिए। सत्तारूढ़ दल को भी सोचना चाहिए कि वह सटीक आंकड़े ही दे जिससे किसी को शक न हो क्योंकि शक, विकास की राह में अक्सर बाधक बनता है। प्रदेश को आगे ले जाना है तो इसका विचार करना ही होगा।
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से सम्बद्ध हैं।)