आशा के दीपों से 41 मिनट तक जगमगाएंगे लालकिले, कुतुब मीनार सरीखें विश्व धरोहर स्मारक
नई दिल्ली । दिल्ली के लालकिले, कुतुबमीनार, हुमायूं का मकबरे शनिवार की शाम को दीपों से रौशन होगा। कोरोना के कहर के चलते विश्व में छाए अंधेरे को भगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआई) विश्व धरोहर स्मारकों के साथ सफदरजंग और पुराने किले में शाम को सात बजे से दीये जलाएंगे। लॉकडाउन की अवधि 41 दिन किए जाने के मद्देनजर इन स्मारकों में इतने ही मिनट दिए जलाने की योजना है। एएसआई के मुताबिक विश्व धरोहर दिवस के दिन धरोहरों को सहेजने और ऐतिहासिक स्थलों के रख रखाव के लिए कर्मचारियों को ऑनलाइन तरीके से शपथ भी दिलाई जाएगी।
एएसआई के अधिकारी ने बताया कि कोरोना बीमारी से लड़ने के लिए कई स्वास्थ्य कर्मी और डॉक्टर दिन रात एक कर रहे हैं। इसलिए इस बार उन्हें धन्यवाद देने के रूप में इस दिवस को मनाया जा रहा है। सभी पांचों स्मारकों में 41 मिनट तक दिये जलाने की योजना है। चूंकि सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा जाना है इसलिए एएसआई के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन शपथ कराने का भी इंतजाम किया गया है। दिये जलाने के कार्यक्रम के बाद लालकिला, कुतुबमीनार, हुमायूं के मकबरे सहित अन्य दो स्मारकों में लाइटिंग की जाएगी। भारत में 30 ऐतिहासिक विश्व धरोहर हैं।
क्यों मनाया जाता है 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस
विश्व के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक स्थलों को विरासतों के रूप में संरक्षित रखने के लिए यूनेस्को द्वारा हर साल 18 अप्रैल को ‘वर्ल्ड हेरिटेज डे’ मनाया जाता है। संरक्षित स्थलों पर जागरूकता के लिए सांस्कृतिक-ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासतों की विविधता और रक्षा के लिए इस दिन की शुरुआत हुई। ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ माउंटेन्स एंड साइट द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में 18 अप्रैल,1982 को विश्व धरोहर दिवस मनाने का सुझाव दिया गया, जिसे कार्यकारी समिति द्वारा मान लिया गया। नवंबर,1983 में यूनेस्को के सम्मेलन के 22वें सत्र में हर साल 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया।