मुंबई – रेल दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गवा चुकी मोनिका मोरे की डॉक्टरों द्वारा की गई हैंड ट्रांसप्लांट सर्जरी (Hand transplant surgery ) सफल हुई। चार साप्ताह तक डॉक्टरों की निगरानी में रहने के बाद शनिवार को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
इसी के साथ ग्लोबल अस्पताल (Global Hospital ) पश्चिम भारत का सर्व प्रथम अस्पताल बन गया है जिसने बाइलैटरल् हैंड सर्जरी (Bilateral hand surgery ) करने में सफलता प्राप्त की है। भले सर्जरी सफल रही है, लेकिन मोनिका को अभी एक वर्ष तक काफी अपना खासा ध्यान रखना होगा। शुरुआत के 6 महीने तक उसे अपने हाथों को पानी से बचाना होगा, साफ सफाई का ध्यान रखना होगा, निरंतर अस्पताल में जांच, दवाई और फिजियोथेरेपी समय- समय पर करानी होगी।
डॉक्टरों की माने तो उसे कम से कम एक वर्ष तक संभलकर रहना होगा।“मुझे विश्वास था कि मुझे नए हाथ मिलेंगे। अब मैं बहुत खुश हूं कि मेरा सपना सच हो गया। अपना हाथ खो देने के बाद, मैं किसी की शादी में मेहंदी नहीं लगा सकती थी। लेकिन अब मैं मेहंदी लगा सकती हूं। इसके अलावा, मुझे खुशी है कि मैं अपने खुद के बालों को खींचने, स्नान करने, खाना पकाने और बांधने का काम कर सकता हूं। मैं अपने परिवार, अंग दाता और डॉक्टरों को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे यह नया जीवन दिया। “
लोग होंगे जागरूक
रेल दुर्घटना में हाथ गवाने के बाद पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने मोनिका की काफी सहायता की। किरीट सोमैया ने बताया कि मैंने उसी दिन यह ठान लिया था कि मोनिका को उसके हाथ वापस दिलाना है। पहले मैंने उसे कृतिम हाथ दिलवाए। उसके बाद मुझे डॉक्टरों ने बताया कि हैंड ट्रांसप्लांट उसे नई जिंदगी दे सकते हैं। फिर हमने पैसे इक्कठा करना शुरू कर दिया और अस्पताल की ओर से भी कुछ मदद मिली।
आज एक मोनिका का हैंड ट्रांसप्लांट हुआ इससे जागरूक होकर अपने हाथ गवा चुके अन्य लोगों में भी आस बढ़ेगी। उनकी भी मदद के लिए कोई न कोई आगे आएगा। राजनीतिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ समाज के प्रति भी हमारा कुछ दायित्व है।
सर्जरी की लागत 25 से 30 लाख
ग्लोबल अस्पताल के सीईओ टी. विवेक ने बताया कि यह काफी जटिल और खर्चीली सर्जरी है। मोनिका के अस्पताल से भर्ती होने से डिस्चार्ज होने तक कुल 27 लाख का बिल बन चुका है। अगर हम अन्य एक्सपेंसेस को जोड़े तो लगभग 25 से 30 लाख रुपए खर्च होते हैं। बता दें कि मोनिका को लगाए गए हाथ चेन्नई के ब्रेन डेड सॉफ्टवेर इंजीनियर युवक के हैं। हाथ को चेन्नई से मुंबई चार्टर्ड प्लेन से लाया गया था।
लाइफटाइम लेनी होगी दवाई
ग्लोबल अस्पताल के कंसल्टेंट प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव माइक्रोसर्जन
डॉ. नीलेश सतभाई ने कहा कि जब भी किसी और के शरीर के अंग को किसी दूसरे व्यक्ति में ट्रांसप्लांट करते हैं तो शरीर का इम्यून सिस्टम उसे नहीं स्वीकारता है और उसे नष्ट करने के लिए अग्रसर हो जाता है, ऐसे में मरीज के इम्यून सिस्टम को दाबने के लिए दवाइयां दी जाती है।
मोनिका को भी ऑपेरशन होने के बाद से दवाइयां दी जा रही है और उसे जिंदगी भर दवाइयां लेनी होंगी। इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट भी होंगे लेकिन मोनिका को भविष्य में किसी सहारे की जरूरत नहीं होगी और वह अपनी जिंदगी सामान्य लोग के तरह जी सकती है।
ट्रांसप्लांट के बाद जगी आस
डॉक्टरों ने बताया कि मोनिका की सर्जरी सफल होने बाद उन लोगों में भी आस जगी है, जिन्होंने दुर्भाग्यवश अपने हाथ गवा दिए हैं। अबतक लगभग 25 लोगों ने हैंड ट्रांप्लान्ट सर्जरी के लिए पूछताछ की है। हालांकि हैंड ट्रांसप्लांट हर केस में संभव नहीं है। सभी जांच के बाद यह निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि सर्जरी सफल होगी या नहीं। हमारे पास एक विदेशी नागरिक ने ट्रांसप्लांट के लिए लगभग सभी प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन कोरोना के कारण हमने सर्जरी को टाल दिया है।