पश्चिम बंगाल सरकार ने आखिरकार स्वीकारा, राज्य में कोरोना पॉजिटिव 1259
कोलकाता । पिछले दो महीनों से लगातार गोपनीयता बरत रही पश्चिम बंगाल सरकार ने आखिरकार यह स्वीकार किया है कि राज्य में कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों की कुल संख्या 1259 है। अभी तक राज्य सरकार ने जितने हेल्थ बुलेटिन जारी किया था उसमें इस संख्या का जिक्र नहीं किया गया था। केवल एक्टिव मामलों के बारे में जानकारी दी जाती थी।
सोमवार रात राज्य सचिवालय नवान्न से एक सूची जारी की गई, जिसमें बताया गया कि शुरुआत से लेकर अभी तक बंगाल में कुल 1259 लोग इस महामारी की चपेट में आए हैं। इनमें से 218 लोग फिलहाल स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं और 908 लोग अभी भी पॉजिटिव हैं, जो विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत हैं। यानी मरने वालों की संख्या 133 है। हालांकि सोमवार शाम राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया था उसमें मरने वालों की संख्या केवल 61 बताई गई है, यानी अब भी कोरोना से मृतकों के आंकड़ों में भारी विषमता है। इसके पीछे की वजह स्पष्ट करते हुए राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि 133 में से 61 लोगों की मौत तो सीधे कोरोना से हुई और बाकी 72 लोगों के शरीर में मरने से पहले कोरोना संक्रमण की पुष्टि जरूर हुई थी लेकिन वे कई अन्य गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित थे जो उनके लिए जानलेवा साबित हुई। हालांकि राज्य सरकार के इस दावे के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्र सरकार का निर्देश है कि मरने वाले के शरीर में अगर कोरोना का संक्रमण रहा है तो उसकी मौत को कोरोनावायरस से हुई मौत मानी जाएगी क्योंकि ऐसा संभव होता कि अगर वे करोना संक्रमित नहीं हुए होते तो भले ही दूसरी गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते लेकिन उनकी जान नहीं गई होती। हालांकि बंगाल सरकार इसे मानने के लिए तैयार नहीं। खास बात यह है कि कोरोनावायरस से मरने वाले लोगों के परिजनों को केंद्र सरकार लाखों रुपये की आर्थिक मदद देती है। लेकिन पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस पॉजिटिव होने के बावजूद जो लोग मर गए हैं उनमें से 72 लोगों को अभी तक सरकार ने कोरोना की मौत के तौर पर स्वीकारोक्ति नहीं दी है। ऐसे में इन सभी मृतकों के परिजन आर्थिक मदद से वंचित रहेंगे। इसीलिए राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है।
वैसे भी विपक्ष का कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार जानबूझकर कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा छिपा रही है ताकि इस हालात को संभालने में राज्य सरकार की विफलता उजागर ना हो जाए। अगले साल ही विधानसभा का चुनाव होना है। हो सकता है कि इस अव्यवस्था का राजनीतिक नुकसान सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को उठाना पड़े इसलिए आरोप है कि आंकड़ों में हेर-फेर किए जा रहे हैं।