मौसम में आए बदलाव ने बढ़ाई आम उत्पादकों की चिंता
हापुड़। किसान अपनी छह माह की मेहनत और हजारों रुपये की लागत से पैदा किए गेहूं को जल्दी से जल्दी घर लाने के लिए प्रयासरत हैं। रविवार को अचानक हुई बूंदाबांदी ने किसानों के माथे पर चिंता की रेखाएं गहरी कर दी हैं। आम के बागों के रखवालों में भी चिंता का माहौल है।
अप्रैल माह में किसान विगत छह माह में पाल पोस कर तैयार की गई गेहूं की फसल को सुरक्षित घर लाने के लिए प्रयासरत रहता है। इस दौरान वह भगवान से मौसम साफ रखने की प्रार्थना करता रहता है। गेहूं की कटाई और गहाई के दौरान तेज गर्मी पड़ने और लू चलने की अपेक्षा की जाती है। इस दौरान आसमान से टपकी एक बूंद भी किसानों के सपनों पर पानी फेरने के लिए पर्याप्त रहती है। इस समय यदि बरसात हो जाती है तो खेतों में कटा पड़ा गेहूं और थ्रेशिंग होने के बाद खेतों पड़ा भूसा खराब होने की आशंका बनी रहती है।
रविवार को सुबह से ही तेज हवाएं चलती रहीं और धीरे-धीरे आसमान में बादलों ने डेरा जमा लिया। दोपहर बाद अचानक मोटी-मोटी बूंदें गिरने लगीं। मौसम में आए बदलाव को देख कर सुबह से ही चिंतित हो रहे किसानों की आसमान से गिरती बूंदों को देख कर सांसे अटक गईं। मन ही मन किसान भगवान से बरसात को रोक देने की प्रार्थना करते हुए अपने काम में व्यस्त हो गए। आखिर भगवान ने उनकी सुन ली और लगभग 20-25 मिनट तक बूंदाबादी होने के बाद उन्हें राहत मिल गई। इसके बावजूद आसमान में बादल छाए रहने के कारण किसानों की चिंता कम नहीं हुई है। ग्राम अच्छेजा निवासी आदित्य त्यागी का कहना है कि खेत में गेहूं कटा पड़ा है। दो दिन से थ्रेशर वाले की तलाश है। यदि बरसात हो गई तो सारी मेहनत और लागत पर पानी फिर जाएगा। लगभग एक माह तक तो मौसम एकदम साफ और सूखा रहना चाहिए। रविवार को हुई बूंदाबांदी ने चिंता बढ़ा दी है। इस वर्ष पहले तो बरसात होते रहने के कारण किसान गेहूं की बुवाई ही बहुत कम क्षेत्रफल में कर पाया है। यदि अब कटाई के समय भी बरसात हुई तो किसान को बहुत आर्थिक हानि उठानी पड़ेगी।
दूसरी ओर कई-कई लाख रुपये में आम की फसल खरीद कर उनकी रखवाली करने वालों को भी मौसम में आए बदलाव के कारण काफी चिंता हो रही है। इस मौसम में अक्सर ओले गिरने की आशंका बनी रहती है। ओले के कारण आम की फसल को भारी नुकसान होने की आशंका रहती है। सरावा गांव में आम की फसल की रखवाली कर रहे इब्राहिम का कहना है कि उसने आढ़ती से चार लाख रुपये उधार लाकर आम की फसल खरीदी है। उसे आशा है कि वह आढ़ती से उधार लाए रुपये लौटा कर पूरे वर्ष अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए बाग से धन एकत्र कर लेगा। लेकिन यदि मौसम ने साथ नहीं दिया और प्रकृति की मार हो गई तो वह न आढ़ती के रुपये लौटा पाएगा और न अपने परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाएगा। (एजेंसी, हि.स.)