वायरस, लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय मंदी के कारण पस्त ऑटो सेक्टर, डराने वाले आंकड़े आये सामने
नई दिल्ली. वायरस, लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय मंदी ने तीनों की वजह से देश का ऑटो सेक्टर पस्त पड़ चुका है. पहले ही ऑटे सेक्टर काफी बुरे हालातों से गुजर रहा था. लेकिन वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण इस सेक्टर का हाल बेहाल हो गया है.
हर दिन ऑटे सेक्टर के हालत और ज्यादा खराब होती जा रही है. एकसपर्ट भी समझ नहीं पा रहे ही कि आखिर ये सेक्टर खुद को कब तक संभाल पायेगा. ऑटो सेक्टर को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड़्डी कहा जाता था. लेकिन अब हालात डराने वाली होती जा रही है.
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा जब किसी एक महीने में एक भी गाड़ियों की बिक्री नहीं होगी. दरअसल, लॉकडाउन की वजह से सभी गाड़ियों के शोरूम और मैन्युफैक्चरिंग बंद हैं. इसके अलावा मांग भी पूरी तरह से ठप है. ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि यह सिर्फ अप्रैल तक ही सीमित नहीं रहेगा यह स्थिति आगे भी बढ़ती हुई दिखाई पड़ रही है.
इंडस्ट्री के लोग मौजूदा स्थिति को देखकर आगे के दिनों की चिंता कर रहे हैं. उनका मानना है कि आने वाले दिन भी ऑटो इंडस्ट्री के लिए ठीक नहीं रहने वाले हैं. बता दें कि ऐसा इतिहास में पहली बार होगा जब ऑटो इंडस्ट्री में अप्रैल महीने में कोई बिक्री नहीं होगी. ऐसा पहली बार हुआ है एक महीने में ऑटो इंडस्टी की एक भी बिक्री न हुई हो.
बड़ी से बड़ी कंपनियों की हालत इस समय पतली नजर आ रही है. यही नहीं कंपनियों को आगे भी डर सता रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में भी जरूरी नहीं है कि हालात सामान्य हों. कंपनियों को डर है कि आगे भी बिक्री नहीं होगी. ऑटो कंपनियों का कहना है कि प्लांट बद करना आसान है लेकिन उन्हें दोबारा से शुरू करना बहुत मुश्किल है. कंपनियों को अप्रैल के बाद यानी मई में भी सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
आपको बता दें कि ऑटो इंडस्ट्री चार करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देती है. जबकि सरकार को कुल टैक्स का 15 प्रतिशत भी इसी इंडस्ट्री से ही मिलता है. लेकिन ये एक महीना ऑटो सेक्टर के लिए काफी बुरा दौर रहा है. एक तरीके से ये महीना ऑटो सेक्टर के लिए काला साबित हुआ है.
देश की जीडीपी में भी 8 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी इसी सेक्टर की है. ऐसे में अगर ये सेक्टर इसी तरह से गिरावट के दौर से गुजरता रहा तो, देश को भी काफी बुरे दौर से गुजरना पड़ेगा. क्योंकि अगर ये सेक्टर इसी तरह बंद रहा तो देश की जीडीपी का और नीचे आना तो तय है. (एजेंसी, हि.स.)