राज्यों से परस्पर संवाद नहीं कर रहा केंद्र : कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने लॉकडाउन के बीच लोगों को भोजन एवं अन्य जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता तथा बांद्रा में एकत्रिकरण की घटनाओं के लिए केंद्र सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। विपक्षी पार्टी ने कहा कि केंद्र द्वारा राज्य सरकारों से परस्पर सम्पर्क व संवाद नहीं रखने के कारण लोगों को समस्याएं हो रही हैं। लॉकडाउन से लेकर लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने तक, सभी बिन्दुओँ पर निर्णय लेने से पहले केंद्र को राज्यों से मंत्रणा करनी चाहिए ताकि समाधान के बेहतर विकल्प तलाशे जा सकें।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहब थोराट ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकन के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से छोटे, मध्यम व बड़े सभी तरह के उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है और मजदूर चिंतित हैं। ऐसे में केंद्र की ओर से राज्यों से सम्पर्क कर मदद की बेहतर कोशिश होनी चाहिए थी। लेकिन केंद्र ने राज्यों की मांगों को दरकिनार कर अपनी तरफ से ही आर्थिक पैकेज एवं अन्य घोषणाएं कर दी, जो वर्तमान परिस्थिति में जरूरत से काफी कम हैं।
बालासाहब थोरात ने कहा कि केंद्र सरकार ने संकट की इस स्थिति में ईएमआई और लोन की किश्तों पर तीन महीने की राहत तो दी, लेकिन इन पर लगने वाले ब्याज को माफ नहीं किया गया। इसके अलावा सीएम रिलीफ फण्ड को सीएसआर के तहत नहीं रखा गया है, जिस कारण राज्य सरकार के पास पैसा नहीं आ रहा। राज्यों के पास जीएसटी का हिस्सा पहले से ही नहीं मिल रहा। इसीलिए केंद्र से मांग है कि वो राज्यों को उनके हिस्से की रकम तत्काल जारी करें। साथ ही राज्यों के लि विशेष पैकेज की भी घोषणा तत्काल की जानी चाहिए।
बांद्रा में लोगों की भगदड़ के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने कहा कि यह सीधे तौर पर केंद्र एवं रेलवे की लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल को डिप्टी चीफ कमर्शियल मैनेजर, साउथ सेंट्रल रेलवे के हस्ताक्षर से जारी एक नोटिस में “प्रवासी श्रमिकों के लिए जन साधारण ट्रैन चलाने के निर्णय” का उल्लेख है। ऐसे में सवाल लाजमी है कि क्या केंद्र सरकार 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म कर ट्रेन चलान की योजना बना रही थी, क्योंकि राज्य सरकार को इस विषय पर किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी। आखिर केंद्र राज्यों से बात करने से क्यों कतरा रहा है, सिर्फ फैसले सुनाने से समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा।
कांग्रेस नेताओँ ने कहा कि महाराष्ट्र में वायरस से निपटने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। रोकथाम को लेकर मेडिकल स्टाफ के साथ पूरा प्रशासन लगा हुआ है। लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील भी की जा रही है। लॉकडाउन के बाद लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर उन्होंने कहा कि जिनके पास आजीविका का साधन नहीं है उनके लिए 6000 कैम्प के जरिए हर रोज 7 लाख लोगों को खाना देने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के तहत महाराष्ट्र में 7.5 करोड़ लोगों को राशन पहुंचाया जा रहा है।
अशोक चव्हाण ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना के इलाज के लिए 30 अस्पताल चिन्हित किए हैं। इनमें लगभग 2305 बेड की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। लोकनिर्माण विभाग ने भी 22 हजार जगह चिन्हित की है, जहां 55 हजार बेड उपलब्ध हैं। हालांकि सुरक्षा उपकरणों की कमी के विषय पर कहा कि वर्तमान में मेडिकल टीम के पास मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर जरूरत से काफी कम है। इसे लेकर केंद्र सरकार से मदद मांगी गई है। (एजेंसी, हि.स.)