सोनिया का ऐलान, कांग्रेस उठाएगी प्रवासी मजदूरों की रेल यात्रा का खर्च
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के बीच फंसे प्रवासी मजदूरों को घर वापस पहुंचाने के क्रम में टिकट का पैसा लिए जाने पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में जिन मजदूरों के पास खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं उनसे यात्रा का भाड़ा कैसा मांग सकती है मोदी सरकार, क्या केंद्र को इनकी मजबूरी नहीं दिखती। इस दौरान सोनिया गांधी ने घोषणा की कि सभी राज्यों की कांग्रेस कमेटी प्रवासी श्रमिकों एवं जरूरतमंद कामगारों की रेल यात्रा का खर्च वहन करेगी।
सोनिया गांधी ने सोमवार बयान जारी कर कहा कि श्रमिक और कामगार देश के रीढ़ की हड्डी हैं, उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक और कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए, 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन, उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने मजदूरों से किराया लेने पर केंद्र सरकार से पूछा कि देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक और कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा। दुख की बात यह है कि भारत सरकार और रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब विदेशों में फंसे भारतीयों को हवाई जहाजों से नि:शुल्क वापस ला सकते हैं, गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट और भोजन खर्च कर सकते हैं और रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपये दे सकता है, तो फिर प्रवासी मजदूरों को नि:शुल्क रेलयात्रा की सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती।
सोनिया ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के इन ध्वजवाहकों को उनके घर पहुंचाने के क्रम में कांग्रेस की ओर से ये एक विनम्र किस्म का सहयोग होगा, ताकि संकट के समय में हम अपने हमवतन लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो सकें। (एजेंसी, हि.स.)