राहत पैकेज की कोई घोषणा न करके सरकार ने जनता की उम्मीदों को तोड़ा : कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कोरोना वायरस से लड़ाई को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन के विस्तार के फैसला का समर्थन करते हुए कहा है कि वो इसकी अनिवार्यता को समझते हैं। इस दौरान विपक्षी पार्टी ने यह भी कहा कि लोगों की चिंताओं को दूर करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई घोषणा न करके सबकी उम्मीदों को तोड़ा है। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के संबंध में प्रधानमंत्री का कुछ न कहना भयावह रहा।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में वायरस संक्रमण के हालात को देखते हुए लॉकडाउन की अनिवार्यता को पार्टी समझती है। वैसे भी केंद्र के साथ सभी राज्य सरकारें लॉकडाउन के पक्ष में थीं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन से थोड़ी निराशा राहत पैकेज को लेकर कुछ नहीं बोलने पर हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को बताया कि उन्हें लोगों से क्या अपेक्षा है लेकिन उन्होंने लोगों की चिंताओं को दूर करने को लेकर कुछ नहीं किया। उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि आज जो देशवासी उन्हें सुनने को आतुर हैं, उन लोगों को प्रधानमंत्री से क्या अपेक्षा है।
मनीष तिवारी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान शिविरों में रह रहे प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के संबंध में पीएम का कुछ न कहना भयावह रहा। इतना ही नहीं 14 दिन के अनिवार्य क्वारेंटाइन का वक्त किसी तरह काटने वाले मजदूरों की समस्या के बारे में मोदी ने तनिक भी नहीं सोचा। आज प्रधानमंत्री को मंच से प्रभावित और जरूरतमंद लोगों को बताना चाहिए था कि सरकार उनके लिए क्या करने जा रही है। उन्हें शिविरों से अपने घरों में वापस जाने की अनुमति कब मिलेगी या फिर उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए क्या कैलिब्रेटेड योजना है, ऐसे कई सवाल आम जनता के मन में थे जिनके जवाब उन्हें नहीं मिले। उन्होंने पूछा कि यदि कोई अनिवार्य क्वारेंटाइन अवधि से गुजर चुका है और उसमें संक्रमण के लक्षण नहीं मिले हैं तो क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वो उनकी घर वापसी सुनिश्चित करे। लेकिन प्रधानमंत्री ने इस बारे में भी कुछ नहीं कहा।
कांग्रेस नेता ने टेस्टिंग प्रॉसेस को लेकर भी सरकार से सवाल किया कि परीक्षण कार्यों में कितनी तेजी आई है, इसकी जानकारी भी लोगों को बताई जानी चाहिए। केंद्र ने टेस्टिंग प्रक्रिया हॉटस्पॉट तक सीमित रहेगी या भीलवाड़ा की तर्ज पर सामुदायिक स्तर की स्क्रीनिंग होगी, इस पर भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी। वहीं वायरस के खिलाफ अग्रिम पंक्ति खड़े होकर लड़ने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता, नगरपालिका के कार्यकर्ता की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा उपकरणों की क्या स्थिति है, इस पर भी पीएम मोदी ने कुछ नहीं कहा। ना ही फसलों की कटाई के संबंध में सरकार की ओर से रणनीति बताई गई। उन्होंने पूछा कि आखिर किसान किस भरोसे पर बैठे की उनकी फसल बर्बाद नहीं होगी या फिर उन्हें फसलों की उचित मूल्य मिलेगा। (एजेंसी, हि.स.)