रेल हादसे में प्रवासी मजदूरों की मौत पर मगरमच्छ के आंसू बहा रही केंद्र सरकार : चिदंबरम
नई दिल्ली। देशभर में जारी कोरोना वायरस महामारी के बीच लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को लेकर कांग्रेस नेती पी. चिदंबरम ने केंद्र को दोषी ठहराया है। उनका कहा है कि कांग्रेस ने बहुत पहले ही गरीब मजदूरों की दिक्कतों को सरकार के सामने रखा था लेकिन केंद्र ने उनकी बातों पर ध्यान ही दिया। ऐसे में जब महाराष्ट्र में रेल हादसे में प्रवासी मजदूरों की जान गई है तो ये सरकार मगरमच्छ के आंसू बहा रही है।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि लॉकडाउन के बाद समाज के कई वर्गों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार से लोगों को मदद पहुंचाए जाने की मांग की थी। चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, “बिना नौकरी, खाना और पैसे की के कारण फंसे प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को सबसे पहले कांग्रेस ने उठाया था। कांग्रेस ही थी जिसने कहा था कि सबसे गरीब 50 फीसदी परिवारों को नकद और अनाज दिया जाना चाहिए और इस सुविधा का लाभ प्रवासी श्रमिकों को मिलना चाहिए। हालांकि सरकारों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
कांग्रेस ने ही अपने गृह राज्य जाने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की बात को उठाया था, जिस पर फैसला लेने में केंद्र ने 38 दिन लगा दिए। वो कांग्रेस ही है जिसने लोगों का ध्यान इस ओर खींचा की लॉकडाउन की स्थिति में ट्रेन और बसों का संचालन बंद होने के बावजूद हजारों लोग पैदल ही घर के लिए निकल रहे हैं। पार्टी की इस चेतावनी पर भी केंद्र की मोदी सरकार ने ध्यान नहीं दिया गया। अब जब महाराष्ट्र में रेल हादसे में प्रवासी मजदूरों की जान गई है तो केंद्र सरकार मगरमच्छ के आंसू बहा रही है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमारे राजमार्गों और रेलवे पटरियों पर हर रोज ऐसी त्रासदी देखने को मिलती है लेकिन केंद्र सरकार ही है जिसे ये सब दिखाई नहीं देता।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने प्रवासी श्रमिकों के राहत व बचाव कार्य को केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व में मल्टीमॉडल एजेंसी का गठन किया जाए। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर इस मानवीय संकट को हल करने क लिए सशस्त्र बल के समर्थन की जरूरत पड़ती है तो उसे भी आजमाना चाहिए। इस दौरान औरंगाबाद दुर्घटना को लेकर पटेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रवासी श्रमिकों की समस्या को संभालने में रेल मंत्रालय पूरी तक असमर्थ है। (एजेंसी, हि.स.)