PNB महाघोटाले से एक साल पहले ही CVC ने दी थी खतरे की सूचना
नई दिल्ली (ईएमएस)। 13 हजार 600 करोड़ रुपए के पीएनबी बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कारगुजारी सामने आने से एक साल पहले ही केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने ज्वैलरी क्षेत्र में अनियमितता को लेकर खतरा जाहिर किया था। एजेंसियों ने अगर पीएनबी के साथ सतर्कता बरती होती तो आरोपियों पर समय रहते ही शिकंजा कसा जा सकता था।
सीवीसी ने की थी अनियमिताओं की चर्चा
सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2017 के अनुसार आयोग ने 5 जनवरी 2017 को सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय के सीनियर अधिकारियों और पीएनबी सहित 10 बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उस बैठक में कुछ ज्वैलरी फर्मों के खातों में गंभीर अनियमितताओं की चर्चा की गई थी। सीवीसी के वी चौधरी ने बताया, ‘वह मीटिंग विनसम ग्रुप के जतिन मेहता द्वारा बैंको के साथ किए गए फ्रॉड को लेकर थी। इसके साथ ही ज्वैलरी फर्म में फर्जीवाड़ा, बैंकिंग सिस्टम में गड़बड़ी, सीवीओ की पूछताछ प्रक्रिया, खरीददारों के अकाउंट्स और सोने के आयात पर भी चर्चा की गई थी।’
समय पर सतर्क होते तो नहीं होता फर्जीवाड़ा
उन्होंने कहा कि उस समय नीरव मोदी और चौकसी का घोटाला सामने नहीं आ सका था, हालांकि खतरे की आहट मिलने के बाद जांच एजेंसियां अगर समय रहते सतर्क हो गई होतीं और पीएनबी भी इस सेक्टर से जुड़े खातों की सही से जांच करता तो इस घोटाले को रोका जा सकता था। पीएनबी मैनेजमेंट की तरफ से चूक हुई, नहीं तो नीरव और मेहुल पर काफी पहले ही शिकंजा कसा जा सकता था।
गैरजमानती वारंट जारी
बता दें कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले के आरोपी अरबपति ज्वैलर नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के खिलाफ गैरजमानती वॉरंट जारी कर दिया है। पंजाब नेशनल बैंक में 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी को अंजाम देकर दोनों मामा-भांजे देश छोड़कर भाग चुके हैं। पिछले महीने स्पेशल प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) कोर्ट ने भी पिछले महीने इनके खिलाफ मुख्य गैरजमानती वॉरंट जारी किया था। अदालत द्वारा गैरजमानती वॉरंट जारी होने के साथ ही दोनों के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग करने का रास्ता खुल जाएगा।
कर्मचारियों से मिल कर किया था फर्जीवाड़ा
गौरतलब है कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रान्च के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था। फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिए पैसों की निकासी की गई। इस मामले की जांच ईडी और सीबीआई और जैसी एजेंसियां कर रही हैं। पीएनबी के पूर्व डेप्युटी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी के अलावा नीरव मोदी और चौकसी की कंपनियों के कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
हांगकांग में है नीरव मोदी
नीरव और चौकसी ने सीबीआई के नोटिस के जवाब में पेश होने से इनकार कर दिया था। इस बीच धोखाधड़ी के आरोपी नीरव मोदी के हॉन्गकॉन्ग में होने की खबर है। विदेश मंत्रालय ने हॉन्गकॉन्ग प्रशासन से नीरव मोदी की प्रविजनल गिरफ्तारी के लिए अनुरोध किया है। पिछले दिनों विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी थी।