पटना, सनाउल हक़ चंचल-
पटना। पीएमसीएच के शिशु विभाग में भर्ती नालंदा की रहने वाली 11 साल की खुशबू कुमारी की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. इमरजेंसी में तोड़फोड़ की गई. गेट का शीशा तोड़ डाला. परिजनों का आरोप था कि इलाज में लापरवाही बरती गई. दवा देने में भी देर हुई. इलाज में देर होने से बच्ची की मौत हुई. शीशा तोड़ने में एक परिजन का हाथ भी कट गया.
बताया जा रहा है कि इमरजेंसी में जाकर उसने खुद अपना भी इलाज कराया. हंगामा और तोड़फोड़ को देखते हुए गार्ड को बुलाया गया और टीओपी को भी सूचना दी गई. थोड़ी देर में मामला शांत हो गया. इसके बाद परिजन हथुआ वार्ड के पास शव रखकर हंगामा करने लगे और आरोप लगाया कि उन्हें शव ले जाने के लिए वाहन नहीं मिल रहा है.
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यह भी आरोप लगाया जा रहा था कि शव वाहन नहीं मिलने पर शव को गोद में उठाकर परिजन ले गए. अधीक्षक डॉ. दीपक टंडन का कहना है शव वाहन नहीं मिलने का आरोप बेबुनियाद है. किसी ने उन्हें इस बाबत सूचना नहीं दी. बल्कि वे राष्ट्रपति आगमन के मद्देनजर सेंट्रल इमरजेंसी से अधीक्षक कार्यालय रहे थे. उनके साथ मजिस्ट्रेट, टीओपी के प्रभारी और प्राचार्य भी साथ थे. हथुआ वार्ड के पास भीड़ देखकर वे खुद वहां गए और घटना की जानकारी ली.
उन्होंने तुरंत शव को ले जाने लिए शव वाहन उपलब्ध कराया. अपनी मौजूदगी में शव को भिजवाया. शव वाहन के चालक से भी जानकारी ली. परिजन जहां शव को ले जाना चाहते थे. वहां चालक ने उन्हें पहुंचा दिया. इसलिए शव को गोद में जाने का आरोप बेबुनियाद है. अधीक्षक का कहना है कि शव वाहन के लिए यदि पहले सूचना मिली होती तो उसे उसी वक्त उपलब्ध करा दिया जाता. शव वाहन कैंपस में ही था. इस तरह की घटनाओं से पीएमसीएच के डॉक्टर डरे हुए हैं. किसी भी बात पर परिजनों का बवाल शुरू हो जाता है.