Bihar.पूर्णियां, 03 मार्च = बिहार में पूर्णियां जिले के अमौर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी पाले के विधायक सह राज्य के उत्पाद एवं मद्य निषेद मंत्री हाजी जलील मस्तान का जीवन बेहद विवादों से भरा रहा है। डकैती से लेकर मर्डर एवं जमीनी विवाद के अलावे कई आपराधिक मामले में इनका नाम आ चुका है । वहां के दर्जनों लोगों की जमीन हड़प कर उन्हें वहां से भगाने का भी आरोप जलील मस्तान के ऊपर लग चुका है। पुलिस और प्रशासन के लोगों में उनका खौफ है । सरकार में मंत्री हैं और ऊपर के पहुंच का फायदा उठाकर अधिकारियों पर अपनी धाक भी रखते हैं। आपराधिक इतिहास के बावजूद इसके अमौर विधान सभा से पांच बार विधायक भी चुने गए हैं और यह भी घोर आश्चर्य की बात है ।
रौटा थाना क्षेत्र अंतर्गत सिरसी गांव के निवासी 65 वर्षीय जलील मस्तान एक बेहद गरीब परिवार से थे । इनके पिता मरहूम अमीनुद्दीन मुस्तजिर एक नाविक थे और लोगों को नाव से इसपार से उसपार ले जाया करते थे । 1980 में मस्तान पहली बार विधायक बने । स्थानीय लोगों का कहना है कि ये 40 वर्ष तक आपराधिक मामलों में संलिप्त रहे । गिराम पुटू गांव में एक साहू परिवार में डकैती मामले में मस्तान को पहली बार मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। यह घटना 1980 और 82 के बीच की है | जब रौटा थाना में केस दर्ज हुआ तब उसी के बाद से इनके राजनीतिक अपराधीकरण का दौर शुरू हुआ था और ये अपने वकील के कहने पर की अगर विधायक बन जाते हो तो केस का उतना असर नहीं होगा । वकील की सलाह पर मस्तान 80 में चुनाव लड़े और जीते भी । स्थानीय लोगों ने बताया कि इन्होंने अपने आपराधिक जीवन के दौरान दर्जनों परिवारों की जमीनों को हड़पा जो सैकड़ो एकड़ में है । अभी भी उन जमीनों पर उनका कब्जा है । चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, कइयों को इन्होंने वहां से उस इलाके को छोड़ने पर विवश किया है। इनके पिता के समय इनका झुग्गी-झोपडी का घर था, परंतु अभी कई शीश महल हैं । पुलिस सूत्र बताते हैं कि उस दौरान ममनून साहब के यहां पलास बाड़ी गांव में डकैती के आरोप मस्तान पर लगे थे जिसमें वे मुख्य अभियुक्त थे । मंत्री जलील मस्तान के घर के पीछे के गांव अरहल, जो धर्मबारी पंचायत में आता है, के मो सज्जाद के मर्डर में भी जलील मस्तान मुख्य आरोपी हैं।
लोग बताते हैं कि अपने दबंगता के समय में इनका चुनाव में विरोध करने पर लाल चुड़ा गांव निवासी फजलू मियां के बदन को सुलगती बीड़ी पी-पीकर दाग दिया गया था । दर्जनों लोगों से जब बात हुई तो उन्होंने कहा भय से यहां उन्हें कोई कुछ नहीं करता । 50 से 60 परिवारों की जमीन पर अवैध कब्जे के अलावे वहां के घाटों पर उनका 25सों साल से कब्जा है । इस घाट से लगभग 25 लाख का सरकारी राजस्व उगाही होता है और इनके रंगरूट वसूली करते हैं । इन घाटों की वहां के सीओ को धमका कर नीलामी ही नहीं होने देते । सभी घाटों की वसूली चाहे
मछली मारने का हो या नाव का, इनके पास ही जायेगा।
भाजपा द्वारा इन्हें बंग्लादेशी के आरोप पर ग्रामीणों में एक मत नहीं है | कुछ लोगों का कहना है कि भारत-बंग्लादेश विभाजन में इनका परिवार यहां आकर बसा था | जबकि कुछ लोग कह रहे हैं कि इनका परिवार यहां 50-60 वर्षों से है । एक ग्रामीण ने बताया कि नदी के उसपार बंगाल बॉर्डर है और वहां से शराब की तस्करी होती है जो इनके गुर्गे ही शराब की तस्करी करते हैं । कई पदाधिकारियों ने डरे सहमे बताया कि हमलोग त्रस्त हैं पर वो सरकार में हैं । हमें अपने पेट और परिवार के लिए नौकरी करनी है। एक ग्रामीण ने बताया कि उन्होंने शादी नहीं की एक हिन्दू लड़की को बहुत दिनों तक अपने साथ रखा । बाद में उस महिला की मृत्यु हो गई जिसके जनाजे के नमाज उन्होंने पढ़वाये तो ग्रामीणों ने विरोध कर दिया था । बाद में 2010 में लगभग 60 वर्ष की उम्र में एक नाबालिग लड़की जिसकी उम्र 14 वर्ष थी और रिश्ते में पोती थी और परिवार भी गरीब था, उसके पिता पर दबाब डाल कर उससे शादी की । लोग बताते हैं कि उस लड़की को आज तक बाहर नहीं निकलने नहीं दिया गया, न ही किसी से मिलने देते हैं और न ही कहीं आने-जाने देते हैं। चाहे कोई रिश्तेदार ही क्यों न हो?
उनके पीएम वाले घटना करवाये जाने पर बहुत से वहां के स्थानीय लोगों में आक्रोश भी है । लोग बताते हैं कि यह संगीन जुर्म है और संवैधानिक मर्यादा को उन्होंने तक पर रख दिया है |
कब से कब रहे विधायक-
1980 से 85, 85 से 1990 तक और फिर 90 से 95 और उसके बाद 1995 में हाजी मुजफ्फर हुसैन एवं उनके देहांत के बाद सबा जफ़र 2000 तक | फिर 2005 से 2010 तक और फिर 2010 में भाजपा से सबा जफर जो 2015 तक रहे और पुनः इस बार जलील मस्तान महागठबंधन से जीते और मंत्री बने । इस घटना को लेकर 3 मार्च को गुरुवार को भाजपा के तीन सौ से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने प्रखंड में धरना एवं प्रदर्शन मंडल अध्यक्ष सोखी लाल की अध्यक्षता किया गया था।