PM की अपील गुमनाम रहकर देशहित में काम करते रहें सिविल सेवक
नई दिल्ली, 21 अप्रैल (हि. स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिविल सेवा दिवस पर आईएस अधिकारियों से कहा कि वह गुमनाम तरीके से किये जाने वाले प्रयासों की परंपरा को बनाये रखें और सोशल मीडिया में स्वयं के किए कार्यों को प्रदर्शित करने में न लगे रहें।
प्रधानमंत्री ने गुमनाम तरीके से किए गए देशहित में योगदान देने की सिविल सेवकों की परंपरा को ‘अनामिका’ की संज्ञा दी। उन्होंने कहा, ‘‘यह उत्तम से उत्तम सिविल सेवा की ताकत है। कही उसमे कमी तो नहीं आ रही| उन्होंने कहा कि आज कितने ही ऐसे प्रयास हैं जिनसे देश में बदलाव आया है लेकिन पता करने की कोशिश करें तो यह बता पना मुश्किल होगा की किसने यह प्रयास किया। उन्होंने कहा कि आज कई अफसर सोशल मीडिया में स्वयं के प्रचार में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल पोलियो दिवस की जानकारी देने के लिए तो ठीक है लेकिन अधिकारी सोशल मीडिया पर बच्चे को दवा पिलाते हुए अपनी तस्वीर लगा देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बिना पहचान बनाये काम करने की धरोहर बचाये रखने का हमें प्रयास करना चाहिए।’’
सिविल सेवा दिवस के अवसर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्कृष्ट योगदान देने वाले जिलों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा दिवस पर दिए जाने वाले पुरस्कारों के लिए आवेदनों की संख्या बढ़ी है लेकिन अब हमें इसे गुणात्मक दृष्टिकोण से देखना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘श्रेष्ट से कम तो कोई आवेदन आना ही नहीं चाहिए।’’
प्रशासनिक व्यवस्था में कमी की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारी अपने ‘अनुभव का बोझ’ आगे बढ़ाते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीनियर को सोचना होगा की कहीं वह यह बोझ युवाओं पर डालकर उनके उन प्रयासों को न नकारें जिन्हें वह स्वयं अपने समय में नहीं कर पाये।
रिफॉर्म से जुड़े आयोगों पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सिविल सेवकों के अनुभव से बेहतर कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘आपके पास जो सुझाव है उसके बेहतर सुझाव कोई नहीं दे सकता। जिसके बाद किसी रिफॉर्म कमीशन कि जरूरत नहीं है।’’
सिविल सेवकों को प्रेरणा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके पास अवसर और व्यवस्था है| प्रश्न यह है कि क्या वह इसे अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभाव में अलिप्त रहने पर व्यक्ति का मूल्यांकन तय होता है। यह जिम्मेदारी उठाने का अवसर है कि देश मेरा है और मुझे प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को हर घटना और निर्णय का राष्ट्रहित में है इसे तौलना होगा और भावी समय में उसका क्या परिणाम होगा इसको समझना होगा।
उन्होंने कहा कि हमें आउटकम केंद्रित सोच अपनाने की जरूरत है। आउटपुट नहीं आउटकम पर ध्यान देना चाहिए। पहली बार है कि 1 अप्रैल को बजट लागू हो गया।
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उन्होंने कहा कि कश्मीर में बाढ़ आने पर जब सेना मदद करती है तो लोग उनकी तारीफ करते हैं भले ही आज वह उन पर पत्थर मारते हों।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब सिविल सेवा दिवस को नया स्वरूप नया आकर और नया मंजर मिला है। यह अब एक प्रभावी मंच बनकर उभरा है जिसमें गंभीर चिंतन होता है। यह आपस में विचार, नवाचार और प्रयासों को साझा करने का अवसर प्रदान करता है। पहले यह केवल व्यक्तिगत था अब यह प्रयासों पर केन्द्रीत हो गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल से इस साल सिविल सेवा के दौरान दिए जाने वाले पुरस्कारों में भाग लेने वालों की संख्या बढ़ी है। पहले यह 706 जिलों में से 74 थी जो अब बढ़कर 599 हो गई है। उन्होंने कहा कि युवा इसे एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं। अब सहयोगी संघवाद में प्रतिस्पर्धी संघवाद भी जोड़ा है।
इस अवसर पर देशभर के जिलों को पहाड़ी और अन्य राज्यों की दो श्रेणियों में योजनाओं को लागू करने के उनके प्रयासों के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए। यह जिले हैं दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) : डिजिटल लेनदेन , डूंगरपुर (राजस्थान) : सोलर प्रोजेक्ट (लैंप), सियहा (मिजोरम) : कृषि सिंचाई योजना, बांसकांठा (गुजरात): कृषि सिंचाई योजना, गोमती (त्रिपुरा): फसल बीमा योजना, जालना (महाराष्ट्र) : फसल बीमा योजना, सोलन मंडी हिमांचल : ई नाम (ई मंडी), निजामाबाद (तेलंगाना) : ई नाम (मंडी), उतरी- मध्य अंडमान : स्टार्ट अप, गुजरात : स्टार्ट अप, शिवसागर (असम) : ग्राम ज्योति योजना (पहाड़ी), नालंदा (बिहार) : ग्राम ज्योति योजना( अन्य)।
इस अवसर पर दो पुस्तकों न्यू बेगनिंग और फोरेस्टिंग एक्सलेंस नामक दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।