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ऑनलाइन और ई-कामर्स कंपनियों के पक्ष में दिए फैसले पर सरकार करे विचार : कैट

रायपुर। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शन‍िवार को बयान जारी कर ऑनलाइन व ई-कॉमर्स कंपन‍ियों को अपने उत्‍पाद बेचने की छूट का व‍िरोध क‍िया है। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी एवं कैट के प्रदेश मिडिया प्रभारी संजय चौबे एवं मोहम्मद अली हिरानी ने बताया क‍ि सरकार द्वारा 20 अप्रैल के बाद ऑनलाइन और ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उत्पाद बेचने की छूट का विरोध किया है।

कैट के प्रदेश महामंत्री जीतेन्द्र दोशी द्वारा शनिवार को जारी पदाधिकारियों के संयुक्त बयान में द्वारा कहा गया कि व्यापारियों को बांध के रखना और ई कॉमर्स को खुली छूट देना देश के 7 करोड़ और राज्य के 6 लाख कारोबारियों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने व्यापारी हित में निर्णय नहीं लिया तो हम महात्मा गांधी की तर्ज पर अन्यथा असहयोग आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। केंद्र सरकार से इस निर्णय पर पुर्नविचार की मांग करते हुए राज्य सरकारों से भी अपील की गई है कि वे ऑनलाइन कंपनियों और ई-कामर्स कंपनियों के पक्ष में दिए गए फैसले पर एक बारगी फिर से विचार करें, ताकि छोटे दुकानदारों को इस आपदा से बाहर निकाला जा सके।

बयान में कहा गया है कि सरकार के इस फैसले को लेकर देशभर के व्यापारियों में बहुत जबरदस्त आक्रोश है। आज देश भर के व्यापारी नेताओं के बीच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई। एक बात सामने आ रही है कि अगर सरकार ने व्यापारी हित में निर्णय नहीं लिया तो हम महात्मा गांधी की तर्ज पर असहयोग आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। अब कैट के नेतृत्व में देशभर के व्यापारी असहयोग आंदोलन करेंगे। कैट ने इस मामले में देशभर के व्यापारी संगठनों से राय आमंत्रित किया है। कैट ने सरकार के हर मुद्दों पर सकारात्मक रूख दिखाते हुए सोशल डिस्टेसिंग और अन्य फैसलों का समर्थन किया है।

कैट ने कहा कि जबकि यह बात सरकार जानती है कि ऑनलाइन कंपनियों से राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है। दुकानें खुलने पर ही सरकार को वास्तविक जीएसटी और राजस्व की प्राप्ति होगी, वहीं इससे व्यापारी इस चुनौतीपूर्ण विपदा से लड़ते हुए अपनी आर्थिक हालत भी सुधार सकते हैं। ऑनलाइन और ई-कॉमर्स व्यवसाय में उत्पादों की कोई मॉनिटरिंग नहीं की जा सकती है, वहीं इसे वायरस के फैलने का भी खतरा रहेगा। हमारी मांग यह है कि यदि ऑनलाइन और ई-कॉमर्स को 20 अप्रैल के बाद अपने उत्पाद बेचने का मौका मिलता है तो देशभर के रिटेल और होलसेल दुकानों को भी यह छूट मिलनी चाहिए। (एजेंसी, हि.स.)

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