MCD में हार के बाद कांग्रेस ने स्वीकारी पार्टी में एकजुटता की कमी
नई दिल्ली, 27 अप्रैल (हि.स.)। कांग्रेस ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में करारी हार के बाद कि पार्टी में एकजुटता की कमी को स्वीकार किया है। कांग्रेस को 270 में से केवल 29 सीट से ही संतोष करना पड़ा जबकि भाजपा ने 181 सीट पर जीत हासिल की और आप के खाते में 48 सीट आई।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी की भूट और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित खेमें का सर्मथन करते हुए गुरुवार को कहा, ‘कोई भी चुनौती हो तो सबको लेकर चलाना पड़ता है। मेरे हिसाब से यहां थोड़ी चूक हो गई। जिन लोगों ने दिल्ली की तस्वीर को बदला उनकों तो साथ लेकर चलना ही चाहिए था।‘
वहीं कांग्रेस नेता केटीएस तुलसी ने कहा, ‘तथ्यात्मक बात यह है कि कांग्रेस की ओर से ये चुनाव एकजुट होकर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत लाइन पर अधिक लड़ा गया। यह कोई प्राइवेट पार्टी या व्यक्तिगत उद्यम नहीं है, यह सामूहिक रूप से किया जाना चाहिए था।‘
लोकपाल की नियुक्ति में अब और देरी ठीक नहीं: सुप्रीम कोर्ट
दरअसल चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी से यह साफ नजर आ रहा था कि पार्टी में एकजुटता नहीं है। अब कांग्रेस पार्टी ने इस बात को माना है कि उन्होंएने एमसीडी चुनाव एकजुट होकर नहीं लड़ा, जिसके कारण उन्होंने हार का सामना करना पड़ा।
हालांकि चुनावी नतीजों के बाद ही कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने पार्टी को इस्तीफा सौंपते हुए एक साल तक कोई पद न लेने की घोषणा की थी। वहीं कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने भी आलाकमान को इस्तीफे की पेशकश की थी।
उल्लेखनीय है कि शीला दीक्षित खेमें के तमाम नेता अजय माकन से नाराज हैं। एक के बाद एक दिल्ली कांग्रेस के तमाम नेता अजय माकन पर निशाना साधते हुए कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री अशोक वालिया, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, पूर्व महिला मोर्चा की अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह इसी फेहरिस्त में शामिल हैं।