मुंबई-पुणे को छोड़कर सूबे में शुरू होंगे 56,600 उद्योग-धंधे : भूषण गगरानी
मुंबई । महाराष्ट्र के प्रधान सचिव भूषण गगरानी ने कहा है कि मुंबई और पुणे को छोड़कर राज्य के अन्य सभी जिलों में 56,600 उद्योग-धंधों को शुरू करने की अनुमति दी गई है। इन सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना आवश्यक है। साथ ही राज्य सरकार ने अब तक 35 हजार प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव भेज दिया है।
गगरानी ने साफ कहा है कि प्रवासी श्रमिकों के लिए राज्य सरकार की ओर से विशेष ट्रेन का प्रबंध नहीं किया जाएगा। श्रमिकों को और जो अन्य राज्यों में मेडिकल ग्राऊंड पर जाना चाहते हैं, उनके लिए बसों की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने सोमवार को झुम वीडियों के माध्यम से पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि लाॅकडाउन की वजह से राज्य की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है। इसे पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से नियुक्त की गई दो समितियां काम कर रही हैं।
गगरानी ने कहा कि सोमवार तक सूबे में 56,600 उद्योग-धंधों को अनुमति दी गई है। मुंबई व पुणे में कोरोना के सर्वाधिक मरीजों की संख्या को देखते हुए यहां उद्योग-धंधों को अभी अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए कोरोना के हाॅटस्पाॅट को छोड़कर हर तरह की दुकानों को अनुमति दी गई है। शराब की दुकानों को भी इसी आधार पर अनुमति दी गई है। सरकारी आदेश के बाद भी अगर किसी जिले में शराब की दुकानों को जिलाधिकारी अनुमति नहीं देना चाहते तो उन्हें सरकार को कारण बताना आवश्यक है।
हालांकि इस समय सभी जिलाधिकारी, विशेष कार्य अधिकारी और नगर निगम के आयुक्तों को इनके इलाके में स्थिति को देखकर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। लेकिन सरकार की ओर से जारी आदेश का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है।
भूषण गगरानी ने कहा कि राज्य सरकार ने लाॅकडाउन में कुछ हद तक भले ही छूट दी है, लेकिन जिलाबंदी का पालन किया जाना आवश्यक है। महाराष्ट्र में भी कई जिलों के लोगों ने यहां के ही अर्थात अन्य जिले के नागरिकों का जोरदार विरोध किया है। इसी तरह कई राज्यों ने भी अपने राज्य के प्रवासी मजदूरों को भेजने पर ऐतराज जताया है।
भूषण गगरानी ने कहा कि सिर्फ राजस्थान ने अपने राज्य के प्रवासी श्रमिकों को भेजे जाने की मांग की है। राजस्थान के छोड़ दें तो अभी तक किसी भी राज्य ने इस तरह की मांग नहीं की है। राज्य सरकार ने प्रवासी श्रमिकों का आवेदन भरवाना शुरू किया है। आपातकालीन नियंत्रण कक्ष के संचालक अभय यावलकर व प्रधान सचिव नितीन करीर प्रवासी श्रमिकों को उनके मूल गांव भेजने के लिए प्रयास कर रहे हैं।