लॉकडाउन के दौरान खुदरा कारोबार को 5.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान, कैट ने मांगा राहत पैकेज
नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक बयान जारी कर कहा कि 25 मार्च से 30 अप्रैल तक देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से व्यापार न होने के कारण खुदरा करोबार को करीब 5.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कैट ने कहा है कि आने वाले वक्त में 20 फीसदी खुदरा व्यापारियों को लॉकडाउन की वजह से अपना कारोबार बंद करना पड़ सकता है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कारोबारियों के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज लाने की अपील की है। खंडेलवाल ने कहा कि मुश्किल के इस वक्त में सरकार द्वारा कारोबारियों को हरसंभव मदद देने के लिए राहत पैकेज जरूरी है। गौरतलब है कि कैट से करीब 40 हजार कारोबारी संगठन जुड़े हैं और देशभर के लगभग सात करोड़ कारोबारियों का भी ये प्रतिनिधित्व करता है।
कैट की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से 7 करोड़ व्यापारियों में से करीब 1.5 करोड़ को अगले कुछ महीनों में ही अपने व्यापार को स्थायी रूप से बंद करना पड़ सकता है। इसके साथ ही इन 1.5 करोड़ कारोबारियों पर निर्भर करीब 75 लाख व्यापारियों को अपना व्यापार बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
खंडेलवाल ने आगे कहा कि देशभर में कम-से-कम 2.5 करोड़ व्यापारी बेहद सूक्ष्म और छोटे हैं, जिनके पास इस गंभीर आर्थिक परेशानी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। दरअसल उनके पास ऐसी विपरीत परिस्थिति में अपने व्यापार के संचालन हेतु पर्याप्त पूंजी भी नहीं है। एक तरफ उन्हें वेतन, किराया, अन्य मासिक खर्चों का भुगतान करना पड़ रहा है और दूसरी ओर उन्हें सख्त सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों के साथ चलना पड़ेगा जिस कारण व्यापार को सामान्य स्थिति में आने में कम से कम 6-9 महीने का वक्त लगेगा।
प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि कोविड-19 की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर निगेटिव प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा देश में खुदरा व्यापारी करीब 15,000 करोड़ रुपये का दैनिक कारोबार करते हैं और देश में 40 दिनों से अधिक समय से तालाबंदी चल रही है, इसका मतलब है कि 5.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। ऐसे में उन्होंने व्यापारियों की दुर्दशा पर केंद्र और राज्य सरकारों के संज्ञान नहीं लेने पर निराशा व्यक्त की है। खंडेलवाल ने ये भी कहा कि गृह मंत्रालय की विभिन्न अधिसूचनाओं का जमीनी स्तर पर ठीक से पालन नहीं हुआ है, जिसकी वजह से खुदरा विक्रेताओं का संकट और बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय खुदरा व्यापार वेंटीलेटर पर है। इसलिए प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री तत्काल हस्तक्षेप कर बड़े पैमाने पर होने वाले नुकसान को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं। (एजेंसी, हि.स.)