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सियासत छोड़ प्रवासी मजदूरों के किराया भुगतान को आगे आएं राज्य

नई दिल्ली। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) ने राज्यों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के किराये पर जारी सियासत को बंद कर मानवता के आधार पर प्रवासी मजदूरों के किराया भुगतान के लिए आगे आने की अपील की है, ताकि रेलवे के नुकसान को कम किया जा सके।

एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने लाॅकडाउन की स्थिति में प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए चलाई गई स्पेशल श्रमिक ट्रेनों में मजदूरों से लिये जा रहे किराये के मसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह श्रमिक ट्रेने राज्य सरकारों और जनप्रतिनिधियों के अनुरोध पर चालू की गई हैं। इस महामारी के बीच वैसे तो लोगों की यात्रा खतरनाक हो सकती है, परन्तु भारतीय रेल के कर्मठ साथियों ने निडर होकर इस चुनौती को स्वीकार किया है और इस आपदा में फंसे हुए लोगों को उनके घर पहुंचाने का इंतजाम प्रतिदिन कर रहे हैं।

महाराष्ट्र और राजस्थान की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि क्या आज कुछ राजनेताओं को मजदूरों, श्रमिकों तथा उनके परिवारों की बिल्कुल भी चिंता नहीं है जो इन विकट परिस्थितियों में भी सियासत कर रहे हैं। मिश्र ने कहा कि क्या कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए चाहते हैं कि एक अच्छी व्यवस्था बिगड़ जाय और रेलवे जो इन श्रमिकों के लिए 115 स्पेशल ट्रेने चलाकर उसका संचालन सुचारू रूप से कर चुका है, उस व्यवस्था में अस्थिरता पैदा हो और हमारे रेलवे के कर्मचारियों पर आक्रमण भी हो और सक्रमंण का खतरा भी।

उन्होंने कहा कि आज न ही भारत बल्कि पूरा विश्व ‘कोविड-19‘ की महामारी से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा लिये गये अनेकों सराहनीय कदमों के चलते आज भारत, दुनिया के कई देशों के मुकाबले इस महामारी का सामाना करने में बेहतर सक्षमता रखता है। सरकार ने समस्त नागरिकों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए कई कदम उठाये हैं, जिनमें से एक बेहद सराहनीय कदम है। प्रवासी मजदूरों एवं श्रमिकों को ट्रेनों द्वारा सही सलामत उनके घर तक पहुंचाने का है। रेलवे ने पूरी सावधानी के साथ, दो गज की दूरी के नियम का पालन करते हुए एवं थर्मल स्क्रीनिंग का उपयोग करते हुए इस कार्य को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के दिन, 1 मई से प्रारम्भ किया।

महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने यह भी बताया कि लाॅकडाउन की स्थिति में राज्य सरकारों द्वारा दिये गये यात्रियों की सूची के आधार पर ही रेल मंत्रालय द्वारा ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। किराये का भुगतान राज्य सरकार द्वारा रेलवे को किया जाना है, जिसमें 85 प्रतिशत खर्चा भारतीय रेलवे उठा रही है और मात्र 15 प्रतिशत राज्य सरकारों से लिया जा रहा है। इन ट्रेनों में कम संख्या में यात्री, यात्रा करते हैं और वापसी की यात्रा में ट्रेन खाली आती है। सुरक्षा और सफाई के लिए बड़े पैमाने पर रेलयात्री काम करते हैं, खाने-पीने की व्यवस्था मुफ्त कराई जाती है जिसमें रेलवे को हजारो-करोड़ों रुपये का खर्च वहन करना पड़ेगा। अगर यह भी प्रावधान नहीं किया जाता और घोषणा हो जाती कि मुफ्त में रेल यात्रा कराई जा रही है, तो रेलवे स्टेशनों पर लाखों की संख्या में यात्री पहुंच सकते थे, स्टेशन पर भगदड़ मच जाती, ट्रेन में भरकर लोग यात्रा करते जिसे रोकना असंभव होता और ‘कोविड-19‘ जैसी खतरनाक महामारी अधिक फैलती। इसका दुष्प्रभाव हमारे रेलवे के कर्मचारियों पर भी पड़ता और भविष्य में इस प्रकार की सेवाएं उपलब्ध कराना भी मुश्किल हो जाता। ऐसे में इस विषय पर राजनीति करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।

महामंत्री मिश्र ने आगे कहा कि देश में लाॅकडाउन की स्थिति में अनवरत चलने वाली सवारी गाड़ियां पिछले 24 मार्च से खड़ी हैं, इस स्थिति में रेलवे द्वारा यात्रियों के संचालन के लिए टिकटों की बुकिंग भी बंद है जिससे रेलवे को कई करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

मिश्र ने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के किराये के भुगतान के लिए राज्य सरकारों को मानवता के आधार पर अवश्य आगे आना चाहिए, जिससे रेलवे के नुकसान को कम किया जा सके, क्योंकि इस समय रेलवे ही है जो प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने, माल ढुलाई करने व जरूरत के सामानों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने का कार्य कर रही है। (एजेंसी, हि.स.)

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