इमरान खान का झूठ और बलूचिस्तान विद्रोह का सच
– आर.के. सिन्हा
इमरान खान को अपने मुल्क में लग रही आग दिखाई नहीं दे रही है। वे समझ नहीं पा रहे हैं या जानना नहीं चाहते कि पाकिस्तान के कब्जे के विवादित बलूचिस्तान सूबे में विद्रोह की चिंगारी भड़क चुकी है। पाकिस्तान के क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े प्रान्त बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी नाम का संगठन किसी भी सूरत में पाकिस्तान से अपने बलूचिस्तान को अलग करना चाहता है। इसके लिए यह संगठन अब हिंसक रास्ते पर चल पड़ा है।
पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची के स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग में बीते दिनों हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली। इसके बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश की संसद में बेशर्मी से दावा कर रहे हैं कि कराची में आतंकी घटना के पीछे भारत का हाथ है। आतंकी हमले के अगले ही दिन उन्होंने बिना किसी तथ्य के यह खोखला दावा कर दिया। जबकि उससे पहले ही बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने कराची हमले की जिम्मेदारी ले ली थी। इमरान खान ने भारत पर आरोप लगाते हुए किसी तरह के साक्ष्य पेश करने की जरूरत नहीं समझी। स्टॉक एक्सचेंज में हुए आतंकी हमले में करीब दस लोगों की जानें गई थी। हमलावरों ने वहां ग्रेनेड से हमला किया। भारत पर आरोप लगाते हुए इमरान खान बेशर्मी से यहां तक कह गए कि भारत ने मुंबई में 2008 में हमला भी खुद ही करवाया था, जिसमें 166 से ज्यादा नागरिक मारे गए। वे एक तरह से झूठ पर झूठ बोलने लगे हैं। हालात यह है कि मुंबई में हुए उस खूनी हमले को 10 साल से ज्यादा हो रहे हैं पर पाकिस्तान अबतक उस कत्लेआम के गुनाहगारों को सजा तक नहीं दिलवा पाया है। वैसे वहां इस हमले के आरोपियों पर नाम भर के लिये केस चल रहे हैं। इमरान खान से पूछा जाना चाहिए कि मुंबई हमला भारत ने करवाया था तो फिर उसके आरोपियों के खिलाफ पाकिस्तान में केस क्यों चल रहा है? वे यह भी बता दें कि अजमल कसाब कौन था?
पाकिस्तान तो मुंबई हमले के बाद कह रहा था कि उसमें उसकी कोई भूमिका ही नहीं है। पर जब पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बढ़ा तो उसने लश्कर-ए-तैयबा के सरगना जकी उर रहमान लखवी और उसके गुर्गों को पकड़ा भी था। अमेरिका और ब्रिटेन के दबाव के बाद पाकिस्तान ने मुंबई हमलों के गुनाहगारों को दंड देने के लिए एक केस कोर्ट में दायर किया। याद रख लें कि उस केस में नतीजा कुछ नहीं निकलेगा।
चूंकि इमरान खान सच के साथ कभी खड़े नहीं होते इसलिए फिलहाल उन्हें अशांत बलूचिस्तान की स्थिति की वजह समझ नहीं आ रही है। वहां बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी चुन-चुनकर पाकिस्तानी पंजाबियों को मार रही है। अब सवाल यह है कि पंजाबियों को बलूचिस्तान में किस कारण से निशाना बनाया जा रहा है? बेशक, किसी भी प्रकार की हिंसा को सही तो नहीं माना जा सकता। पर यह जान लीजिए कि सारा पाकिस्तान ही नफरत करता है पंजाब और पंजाबियों से। सबको लगता है कि पाकिस्तान का पंजाब प्रान्त ही उनका शोषण कर रहा है, उनके हकों को मारता है। इमरान खान खुद भी पंजाबी हैं। वे पंजाब के मियांवाली से चुनाव लड़ते हैं। क्या उन्हें मालूम नहीं कि उनके ही देश में पंजाबियों को लेकर शेष देशवासियों में कितना गुस्सा है?
कुछ समय पहले बलूचिस्तान में बंदूकधारियों ने एक बस से यात्रियों को उतार कर उनमें सवार एक दर्जन से अधिक लोगों को भून डाला था। बंदूकधारियों ने कराची और ग्वादर के बीच चलने वाली बसों को रोका, यात्रियों के पहचान पत्रों की जांच की और फिर अपना खूनी खेल चालू कर दिया। सभी मारे गए बस यात्री मूलत: पंजाबी मुसलमान थे। हत्यारों ने बस को रोककर मुसाफिरों से उनके पहचान पत्र मांगे। उन्होंने गैर-पंजाबियों को छोड़ दिया, पर पंजाबियों को निर्ममता पूर्वक मार डाला। ये बलूचिस्तान सूबे में पंजाबियों के कत्लेआम की कोई पहली घटना नहीं थी। वहां पर पंजाबियों पर लगातार जानलेवा हमले हो रहे हैं। पंजाबियों को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी मार रही है। पंजाबियों को अगवा भी किया जा रहा है।
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा सूबा माना जाता है। विकास से कोसों दूर है बलूचिस्तान। वैसे उस क्षेत्र में अनेकों गैस के भंडार बताए जाते हैं। बलूचिस्तान में पंजाबी विरोधी आंदोलन से फिलहाल तो पाकिस्तान सरकार की नींद बुरी तरह उड़ी हुई है। उसका इस बलूचों के आंदोलन के कारण परेशान होना समझ भी आता है। इधर ही चीन की मदद से 790 किलोमीटर लंबा ग्वादर पोर्ट बना है। पाकिस्तान को लगता है कि ग्वादर पोर्ट बन जाने से देश की तकदीर बदल जाएगी। पर बलूचिस्तान के अवाम को यह नहीं लगता है। उसका मानना है कि ग्वादर पोर्ट बनने से सिर्फ पंजाब के हितों को ही लाभ होगा। बलूचिस्तान की जनता को मोटा-मोटी यही लग रहा है कि उनके क्षेत्र के संसाधनों से पंजाब और पंजाबियों का ही पेट भरा जाएगा। सच पूछा जाए तो इसलिए ही बलूचिस्तान में पंजाबियों से घोर नफरत की जाती है।
यकीन मानिए ब्लूचिस्तान पाकिस्तान से शुरू से ही अलग होना चाहता है। वह तो आजादी के समय भी भारत का हिस्सा बनना चाहता था जिसे नेहरू जी ने ठुकरा दिया था। पाकिस्तान सेना की ताकत ने ही उसे पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रखा हुआ है। पाकिस्तानी सेना स्वात घाटी और बलूचिस्तान में विद्रोह को दबाने के लिए आये दिन टैंक और लड़ाकू विमानों तक का इस्तेमाल करती है। जो पाकिस्तान बात-बात पर कश्मीर का रोना रोता होता है, उसने कभी बलूचिस्तान में कोई चौतरफा विकास कार्य नहीं किया। बलूचिस्तान कमोबेश अंधकार युग में जी रहा है।
पाकिस्तान के चार सूबे हैं- पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा। इनके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बल्टिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं, जिसे पाकिस्तान ने अवैध रूप से भारत से हड़प रखा है। पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में महिलाओं के साथ आये दिन खुलेआम बलात्कार करती रहती है। मर्दों को बड़ी बेरहमी और बेदर्दी से मारती है। एक महत्वूर्ण बात यह भी है बलूचिस्तान और सिंध से कोई आतंकवादी बनने नहीं जाता। इसका भी आतंकवादियों और आईएसआई को खुंदक है और वे इसका बदला सिंधियों और बलूचियों से लेते रहते हैं। आतंकवादी पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा से ही बनते हैं या बनाये जाते हैं। हाफिज सईद और मसूद अजहर भी पंजाबी ही हैं और उनके केन्द्र भी पंजाब प्रॉंत में ही हैं।
अब पाकिस्तान सरकार को बलूचिस्तान को उसका हक देना होगा। अगर वो इस मोर्चे पर सफल नहीं होती है तो बलूचिस्तान में विद्रोह और भड़क जाएगा। तब बलूचिस्तान का पाकिस्तान का अंग बने रहना कठिन होगा। इमरान खान यह समझ लें कि उनके देश में होने वाली आतंकी वारदातों के लिए वे भारत को दोष देकर बच नहीं सकते। वे सच का सामना नहीं करेंगे तो उन्हें ही कष्ट होगा।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)