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फ्लिपकार्ट के राजस्‍व में उछाल, 2018-19 में 6 अरब डॉलर दर्ज

फ्लिपकार्ट का एकीकृत राजस्व वित्त वर्ष 2019 में 42 फीसदी उछलकर 43,615 करोड़ रुपये (6.14 अरब डॉलर) पर पहुंच गया, साथ ही कंपनी ने नुकसान में काफी कमी की है। यह जानकारी कंपनी की सिंगापुर होल्डिंग कंपनी की तरफ से दी गई नियामकीय सूचना से मिली, जिसे बिजनेस इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पेपर डॉट वीसी ने देखा है। वित्त वर्ष 2019 काफी अहम है क्योंकि वित्त वर्ष के पहले चार महीने को छोड़कर फ्लिपकार्ट का स्वामित्व अमेरिकी खुदरा दिग्गज वॉलमार्ट के पास चला गया, जिसने अगस्त 2018 में उसका अधिग्रहण किया था।

बेंगलूरु मुख्यालय वाली कंपनी का नुकसान वित्त वर्ष 2018 के 46,985 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 2019 में 63 फीसदी घटकर 17,231 करोड़ रुपये रह गया, जिसकी वजह खर्च में भारी कटौती रही। इस अवधि में खर्च 46,895 करोड़ रुपये के मुकाबले घटकर 17,281 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि यह मुख्य रूप से वॉलमार्ट की तरफ से अधिग्रहण के बाद वित्तीय लागत में कटौती के कारण हुआ। यह जानकारी पेपर डॉट वीसी के संस्थापक विवेक दुरई ने दी। उन्होंने कहा, खर्च में भारी गिरावट की वजह वित्तीय लागत में कमी रही, न कि परिचालन खर्च मेंं कमी। वित्त वर्ष 2018 के खर्च में वित्तीय लागत की हिस्सेदारी ज्यादा थी, जिसका कारण परिवर्तनीय प्रतिभूतियों के लेखांकन का मामला था। अगर हम वित्तीय लागत को हटा दें तो वास्तव में समूह का कर्च 118 फीसदी बढ़ा।

उदाहरण के लिए कर्मचारियों के फायदे के लिए फ्लिपकार्ट का खर्च वॉलमार्ट के अधिग्रहण के बाद से 58 फीसदी बढ़कर 4,254 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। फॉरेस्टर रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक सतीश मीणा के मुताबिक, वित्तीय लागत को छोड़ दें तो फ्लिपकार्ट का नुकसान बढ़ रहा है क्योंकि कंपनी कर्मचारियों के फायदे, विपणन और ब्रांड प्रमोशन पर ज्यादा खर्च कर रही है। मीणा ने कहा, पिछले साल फ्लिपकार्ट के राजस्व की रफ्तार 50 फीसदी थी। इस समय यह 42 फीसदी है। यह रफ्तार ठीक है और ऐसा नहीं है कि इससे खुशी न मिलती हो। लेकिन उनका नुकसान अभी भी चिंता का विषय है।

नियामकीय सूचना से यह भी पता चलता है कि फ्लिपकार्ट के ग्रुप सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति के पद संभालने के बाद से अधिग्रहण को लेकर उसकी रणनीति आक्रामक हो गई। समूह ने वित्त वर्ष 2019 में अधिग्रहण पर 4.68 करोड़ डॉलर खच4 किए, जिसमें इजरायल की अपस्ट्रीम कॉमर्स का सितंबर 2018 में अधिग्रहण पर 2.14 करोड़ डॉलर का खर्च और बेंगलूरु की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी लिव डॉट एआई का 1.05 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण शामिल है। देश के बढ़ते ऑनलाइन बाजार में वर्चस्व बनाने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियां भारी नुकसान का सामना कर रही हैं, जो साल 2028 तक 200 अरब डॉलर पर पहुंचने की संभावना है, जो पिछले साल 30 अरब डॉलर रहा था।

नुकसान घटाने के लिए ये कंपनियां काफी मेहनत कर रही हैं। पेटीएम ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड (पेटीएम मॉल) ने वित्त वर्ष 2019 में नुकसान कम किया क्योंकि कंपनी का राजस्व 25 फीसदी बढ़कर 968 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। समीक्षाधीन अवधि में पेटीएम ग्रुप के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी का शुद्ध नुकसान 1,171 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 34 फीसदी कम है। कंपनी ने खर्च पर नियंत्रण के जरिये यह हासिल किया। बिजनेस इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म टोफलर के मुताबिक, एमेजॉन सेलर सर्विसेज का नुकसान 2018-19 में घटकर 5,685 करोड़ रुपये रह गया। यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 9.5 फीसदी कम है जबकि उसका राजस्व इस अवधि में 55 फीसदी उछलकर 7,778 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

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