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DIG विकास वैभव बोले, जरूरी है मिथिला की सभ्यता और संस्कृति की रक्षा

पटना, सनाउल हक़ चंचल-

बेगूसराय। भागलपुर व मुंगेर के डीआइजी विकास वैभव ने छात्रों से सीधा संवाद कर बखरी महोत्सव का सभापन किया. उन्होंनेे कहा कि मिथिला की सांस्कृतिक विरासत काफी गौरवशाली और समृद्धशाली रही है. इसे महाकवि विद्यापति, राष्ट्रकवि दिनकर की जन्मभूमि के साथ महर्षि याज्ञवल्क्य, मंडन मिश्रा, विद्यापति और दिनकर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है. साहित्य, शिक्षा, संस्कृति, उद्योग और कृषि के क्षेत्र में इसकी अपनी अलग पहचान रही है.  वे तीन दिवसीय बखरी महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि लोगों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में धीरे-धीरे मिथिला सभ्यता और संस्कृति अपनी पुरानी पहचान खो रही है. सबसे मधुर और प्रिय मानी जाने वाली पारंपरिक मैथिली भाषा की मिठास खत्म होती जा रही है. उन्होंने प्रकांड विद्वान शंकराचार्य और मंडन मिश्र के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा की विलुप्ति के कारण संस्कृति में बदलाव आया है. इसकी रक्षा अत्यंत जरूरी है. बदलते परिवेश में लोगों से अपने-अपने बच्चों पर ध्यान देने की अपील की.

वह बोले कि  21वीं सदी का विज्ञान समाज के लिए वरदान के साथ-साथ अभिशाप भी बनता जा रहा है. युवाओं को संबोधित करते हुए डीआइजी ने कहा कि जीवन में कभी हार नहीं मानना चाहिए. राष्ट्रकवि दिनकर की रचनाओं से प्रेरणा लेते हुए दृढ़ निश्चयी बन टाॅपर बनने की बिहारी परंपरा से हटकर सही मायने में टाॅपर बनने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि इसके बाद टीवी चैनल वालों को भी आपकी प्रतिभा का लोहा मानना पड़ेगा. इस धरती से उपजी ज्ञान की लंबी परंपरा को जीवंत रखने पर उन्होंने जोर दिया और कहा कि यह युवाओं की बदौलत ही संभव है. इसके पूर्व कार्यक्रम स्थल पर लोगों को लंबे इंतजार के बाद डीआइजी से रूबरू होने का मौका मिला.

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई जिसके बाद आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा मुख्य अतिथि का स्वागत व सम्मान फूल माला, चादर, बुके और प्रतीक चिन्ह प्रदान कर किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य पार्षद सरिता साहु और संचालन कुंदन कुमार और रजनीकांत पाठक ने संयुक्त रूप से किया. कार्यक्रम के दौरान डीआईजी ने युवाओं से सीधा संवाद करते हुए छात्रों के सवालों के जवाब दिए. इस दौरान उन्होंने अपने जीवन गाथा की चर्चा करते हुए सफलता का राज बताया.

छात्रा प्रज्ञा प्रांजल के सवाल कि ‘आईआईटीयन होने के बाद भारतीय पुलिस सेवा के क्षेत्र को ही क्यों चुना?’ का जवाब देते हुए डीआईजी ने कहा कि देश, राज्य और समाज के प्रति कुछ कर गुजरने की तमन्ना के साथ समर्पण की भावना ने उन्हें पुलिस सेवा के लिए प्रेरित किया. इस दौरान उन्होंने छात्रों को आइएएस और आईपीएस बनने के कुछ बेहतरीन टिप्स दिए. साथ ही अनुशासित होकर सच्चे लगन व मेहनत से ईमानदारी पूर्वक कर्तव्य क्षेत्र में आगे बढ़ने की अपील की. कहा, इसी के बदौलत आप सफलता की नई इबारत को गढ़ने में कामयाब हो सकते हैं.

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र ज्योति, प्रभाकर राय, बीडीओ सुदामा प्रसाद, फिल्म अभिनेता अमिय कश्यप, कत्थक नृत्य में विशिष्ट पहचान बनाने वाले सुदामा, कृषि के क्षेत्र में कृष्णदेव राय, अरूण कुमार सिंह, स्वच्छता में उत्कृष्ट सेवा भाव रखने वाले विश्वंभर लाल सिंघानिया को डीआईजी के हाथों सम्मानित किया गया. वहीं करीब एक दर्जन संस्थाओं और मीडियाकर्मियों को आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा सम्मानित किया गया. मौके पर संयोजक डॉ. रमण झा, मनोरंजन प्रसाद वर्मा, डाॅ. आरएन झा, राजीव कुमार, राजवल्लभ राठौड़, पार्षद सिधेश आर्य, प्रवीण कुमार, सुबोध सहनी, सुधीर सिंह, अजय साव, विकास वर्मा, अशोक तुलस्यान, मोहित अमरनाथ पाठक, कौशल किशोर क्रांति, मोहन पोद्दार, आनंद शर्मा, विनोद शर्मा, ललनदेव कुमार, अनुभव आनंद आदि ने कार्यक्रम की सफलता में अहम योगदान दिया.

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