कोरोनाकाल में सेवा के देवदूत
– वैजयंती कुलकर्णी आप्टे
कोरोना महामारी के संकटकाल में शासन-प्रशासन के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभिन्न संगठन भी अपने-अपने स्तर पर समाज सेवा में सहभागिता निभा रहे हैं। इसके तहत जरूरतमंदों की सहायता तो की ही जा रही है, वैश्विक महामारी को मात देने के लिए लोगों के बीच जनजागरण भी जोर-शोर से किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभिन्न संगठनों में सेवा भारती, ग्राम भारती, एकल विद्यालय और वनवासी कल्याण आश्रम की प्रमुख भूमिका है।
जब सारा देश अपने घरों में कैद होने को मजबूर है। वायरस जानलेवा के प्रकोप से जहां शहर के शहर लॉकडाउन हो गए हैं। आवागमन बंद हुआ पड़ा है। ऐसी स्थिति में भी संघ से प्रेरित स्वयंसेवक अपनी जान की परवाह किए बिना देश के अलग-अलग हिस्सों में जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाने में जुटे हुए हैं। कोरोना के इस महासंकट से निजात पाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां धराशायी हो गईं हैं, ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उसके स्वयंसेवक अपनी सुनियोजित तैयारी, संकल्प एवं सेवा-प्रकल्पों के जरिये कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जरूरतमंदों की सहायता के लिये मैदान में हैं। ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के मंत्र पर चलते हुए हर स्तर पर राहत पहुंचाने में जुटे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में वे गरीब और जरूरतमंदों को भोजन खिला रहे हैं, बस्तियों में जाकर, मास्क, सेनेटाइजर, दवाइयां एवं अन्य जरूरी सामग्री बांटकर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं, जागरूक कर रहे हैं। वे इस आपदा-विपदा में किसी देवदूत की भांति सेवा कार्यों में लगे हुए हैं।
हम महाराष्ट्र की बात करें तो राज्य सरकार के टास्क फोर्स, स्वास्थ्य सेवाएं, मुंबई नगर निगम के अस्पताल और इनमें दिन-रात मेहनत करने वाले स्वास्थ्यकर्मी, इनका कोरोना काल में बहुत बड़ा योगदान है। इसी के चलते इन्हें कोरोना योद्धा कहा गया है। साथ ही कई स्वयंसेवी संस्थाएं और समाजसेवी व्यक्तित्व भी सेवाकार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और उनके माध्यम से किए गए कार्यों की सराहना किए बिना यह चर्चा अधूरी लगती है। देश में जब कभी भी कोई प्राकृतिक विपदा आई या कोई बड़ी दुर्घटना हो गई, तब स्वयंसेवक बिना किसी स्वार्थ के सेवा में आगे रहे हैं।
प्राकृतिक आपदा, देश के समक्ष चुनौती की परिस्थितियों में संघ के स्वयंसेवक हमेशा नर सेवा को नारायण सेवा मानकर योगदान देते हैं। पिछले साल महाराष्ट्र के सांगली और कोल्हापुर में आई बाढ़ हो या फिर जून, 2020 में कोंकण के इलाके में आया चक्रवात, इन सभी आपदाओ में संघ के स्वयंसेवक हमेशा लोगों की सहायता में सबसे आगे रहे। यदि कोरोना महामारी की बात करें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जन कल्याण समिति और अन्य सेवा प्रकल्पों के माध्यम से स्वयंसेवकों की विशाल संख्या जनसेवा के लिए सक्रिय दिखाई दी। आज भी जहां कहीं भी संकट के काले बादल मंडराए, वहां स्वयंसेवक मदद के लिए आगे आए। मुंबई में कोरोना महामारी ने भयानक रूप धारण किया हुआ है। ऐसी मुश्किल घड़ी में भी सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में संघ के स्वयंसेवक सहायता के लिए खड़े दिखाई दिये। इतना ही नहीं राज्य के नागपुर, नासिक, पुणे, कोल्हापुर, सांगली जैसे महानगरों की गलियों से आप गुजरें तो आपको संघ का कोई न कोई स्वयंसेवक समाजसेवा करता दिख जाएगा।
संघ भारत की सेवा-संस्कृति एवं संस्कारों को जीवंत करने का एक गैर राजनीतिक आन्दोलन है। सेवा-भावना, उदारता, मानवीयता एवं एकात्मकता संघ की जीवनशैली एवं जीवनमूल्य हैं। संघ के समविचारी संगठन सेवा भारती और सेवा विभाग की कार्य योजना दिनों-दिन गंभीर होती स्थिति के बीच राहत की उम्मीद बनी है। इस कार्ययोजना में कोरोना वायरस से निपटने के लिए जनता की मदद की जा रही है। इनमें स्वेच्छा से लॉकडाउन का पालन करवाना, जिला और स्थानीय प्रशासन की मदद करना तथा अपने मोहल्ले और बस्ती में जिस भी प्रकार की मदद की आवश्यकता हो, वह पूरी तत्परता से करना शामिल है।
इस साल 22 मार्च से पहले तक संघ की देश भर में 67 हजार से अधिक शाखाएं प्रतिदिन लगती थीं। एक शाखा के प्रभाव में 20 से 25 हजार की आबादी आती है। प्रत्येक शाखा के प्रभाव में कम से कम 100 से 150 तक प्रशिक्षित स्वयंसेवक होते हैं। इन स्वयंसेवकों को संकट के समय मदद करने का भी प्रशिक्षण होता है। संघ के अलावा अन्य 36 समविचारी संगठन भी अपने-अपने स्तर पर तय योजना के अनुसार सेवा कार्यों में लगे हैं। कई बस्तियों में 15 दिन के लिए कार्यकर्ताओं ने ही गोद ले लिया है। पूर्ण लॉकडाउन के दौरान जो विद्यार्थी हॉस्टल अथवा गेस्ट हाउस में फंसे थे, उनकी व्यवस्था भी स्वयंसेवकों ने विशेष तौर पर की। किसी परिवार में दवाई की आवश्यकता हो या अस्वस्थता हो तो भी उस समय पूर्ण रूप से उनको हर चिकित्सीय सुविधा प्रदान कराई गई।
इस महासंकट में हैरान, परेशान लोगों की समस्याओं को दूर करने में सहायक बनकर उनेक घावों पर मरहम लगाने का काम संघ के स्वयंसेवकों ने जैसा किया, वैसा उदाहरण विश्व में दूसरा नहीं मिलेगा। अपनी इन्हीं खूबियों के कारण ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बना हुआ है और उसका प्रभाव निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)