कोरोना के साथ जीवन
– रमेश सर्राफ धमोरा
कोरोना महामारी से आज पूरी दुनिया पीड़ित है। भारत में हर दिन स्थिति पहले से अधिक खराब होती जा रही है। देश में करीबन 2 महीने तक चार बार किए गए लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक 2.0 चल रहा है। सरकार इस बात की पूरी कोशिश कर रही है कि धीरे-धीरे जनजीवन पूर्व की भांति सामान्य स्थिति में आ जाए। इसीलिए एक-एक कर पाबंदियां हटाई जा रही हैं। ताकि लोग लॉकडाउन से पहले की तरह सामान्य जीवन जीने लगें।
सरकार का प्रयास है कि कोरोना संक्रमण के विस्तार को हर हाल में रोका जाए। मगर कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है। बीते 5 दिनों में ही एक लाख नए कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए। कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। कोरोना संक्रमण की संख्या के मामले में भारत अब सिर्फ अमेरिका और ब्राजील से ही पीछे है। भारत में गत दिनों एकदिन में रिकॉर्ड 25 हजार नए केस दर्ज किए गए हैं। जो अबतक का सबसे बड़ा डरावना आंकड़ा है। भारत में कोरोना से अबतक सात लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। यहां करीबन 20 हजार लागों की कोरोना से मौत हो चुकी है। जबकि चार लाख तीस हजार लोग ठीक हो चुके हैं। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक 5 जुलाई तक देश में टेस्ट किए गए सैंम्पलों की कुल संख्या करीब एक करोड़ है। जिनमें एकदिन में सबसे अधिक एक लाख 81 हजार सैंपल टेस्ट किए गए। दुनिया में कोरोना से संक्रमित लोगों का आंकड़ा एक करोड़ 15 लाख से अधिक हो चुका है। दुनिया के करीब 213 देश अभीतक इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं।
भारत में सबसे अधिक कोरोना का संक्रमण महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान में है। इन राज्यों में देश के करीब 80 प्रतिशत कोरोना संक्रमित लोग पाए गए हैं। मगर यहां सबसे अच्छी बात यह है कि भारत में कोरोना पॉजिटिव से रिकवर कर नेगेटिव होने वालों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक है। भारत में करीबन औसतन 61 प्रतिशत कोरोना संक्रमित लोग स्वस्थ होकर घर जा रहे हैं। कोरोना के उपचार के लिए देश में इस समय 1105 बायो लेबोरेटरी काम कर रही हैं। जिनमें से 788 सरकारी क्षेत्र की व 317 निजी क्षेत्र की हैं। कोरोना की रोकथाम के लिए भारत में अभी भी अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन सेवा, जल परिवहन सेवा बंद है। देश में भी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने के लिए सीमित संख्या में हवाई जहाज एवं रेलगाड़ियां संचालित की जा रही है। देश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण इन दिनों लोगों में पहले से अधिक भय व्याप्त हो रहा है। इसी कारण बहुत कम संख्या में लोग घरों से बाहर निकाल रहे हैं। रेलगाडियां, हवाई जहाज, बसों में भी बहुत कम लोग यात्रा कर रहे हैं।
कोरोना का लोगों में कितना भय है इसकी एक बानगी मैंने स्वयं महसूस की। मेरे एक नजदीकी रिश्तेदार को वृद्धावस्था के चलते शुगर, बीपी, निमोनिया की बीमारी के उपचार के लिए जयपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां उनकी प्रथम जांच में कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी लेकिन दूसरे दिन फिर जांच करवायी गयी। जिसमें उनको कोरोना पाजिटिव पाया गया। इसके बाद उनको एक निजी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवा दिया गया। एक सप्ताह बाद उनकी मृत्यु हो गई। इसी दौरान उनके परिवार के सभी लोगों की कोरोना जांच करवाई गई, जिसमें अधिकांश लोग पॉजिटिव पाये गये। तब उन सभी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसी दौरान जयपुर के अस्पताल में भर्ती वृद्ध व्यक्ति की मौत के बाद उनके शव की पहचान कर अंतिम संस्कार कराने के लिये प्रशासन ने उनके परिवार के किसी सदस्य को इजाजत नहीं दी। तब मैंने जयपुर जाकर उनका अंतिम संस्कार कराया। ऐसे में यहां देखने को आया कि कोरोना के कारण एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। उनके परिवार के सभी सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के कारण अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे में उस वृद्ध व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए कोरोना के डर से कोई रिश्तेदार तैयार नहीं होता। लोगों में कोरोना का ऐसा डर बैठ गया है कि ऐसी स्थिति में हर कोई बचकर निकलना चाहता है। नजदीकी व्यक्ति भी कोरोना संक्रमित परिवार के यहां जाने से गुरेज करता है।
ऐसे में उस परिवार की स्थिति एक बहिस्कृत परिवार की हो जाती है। जिसका उस परिवार के लोगों के दिलोदिमाग पर काफी ख़राब असर पड़ता है। कोरोना पॉजिटिव से मृत व्यक्ति के परिवार का कोई भी सदस्य कहीं बाहर की यात्रा करके नहीं आया था। न ही उनके परिवार में कोई बाहरी व्यक्ति आया था। जयपुर के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान ही वो कहीं से कोरोना संक्रमित हुए थे। जिसका खामियाजा उनके पूरे परिवार को उठाना पड़ा। सरकार कहती है कि अब हमको कोरोना के संग ही जीना पड़ेगा। लेकिन ऊपर जैसी स्थिति का वर्णन किया गया है, वैसी स्थिति में भला कोई भी व्यक्ति कोरोना के साथ कैसे जी सकता है। जिस व्यक्ति को भी ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ता है, उसकी जिंदगी बहुत खराब हो जाती है। कोरोना के डर से हर कोई उससे दूर रहने का प्रयास करता है। नजदीकी रिश्तेदार भी दूरी बना लेते हैं।
सरकार बार-बार कहती है कि हर व्यक्ति 2 गज की दूरी बना कर रखे तथा जब भी कहीं बाहर निकलो, मुंह पर मास्क लगाकर निकलो। लेकिन देखने में आता है कि अक्सर लोग लापरवाही के चलते ऐसा नहीं करते हैं। बड़े-बड़े मंत्रियों, राजनेताओं, अधिकारियों द्वारा भी अक्सर कार्यक्रमों में सरकार के दिशा-निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन किया जाता है। जिससे आमलोगों में सरकारी नियम-कानून पालना करने की भावना समाप्त हो जाती है। सरकार को चाहिए कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जांच करवाने में तेजी लाई जाए। साथ ही लोगों को शारीरिक दूरी व मुंह पर मास्क लगाने की कड़ाई से पालना करवाई जाए। जहां कहीं भी कोई राजनेता या सरकारी अधिकारी, कर्मचारी सरकारी गाइडलाइंस का उल्लंघन करता मिले, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। तभी सरकारी नियमों की पालना हो सकेगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)