Home Sliderखबरेदेश

कोरोना काल का ‘ग्लोबल कैपिटल’ बनेगा बिहार: तेजस्वी

पटना। बिहार में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है, इसको लेकर सरकारी तंत्र पूरी तरह आंकड़ों का खेल खेल रही है। लोगों की मौत कोरोना से हो रही है लेकिन कई लोग तो अपने घरों में कोरोना से मौत होने पर जेनरल किसी बीमारी से मौत बताकर अपनी इज़्ज़त बचा रहे हैं।

इधर विपक्ष की आवाज़ को हासिये पर ले रही है सरकार जबकि नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने फिर सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा है कि— बिहार में फिर से लॉक डाउन बढ़ाया गया है और जिस प्रकार कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है इसको लेकर हमसब ने कई बार बिहार सरकार को सचेत किया है और फिर से सरकार को सचेत करना चाहते हैं, लगातार 11 जुलाई से 17 जुलाई तक बिहार का पॉजिटिव दर है और बिहार का सबसे ज्यादा पॉजिटिव रेट बिहार का है, हमसभी सरकार से कई बार मांग किये की जाँच की संख्या बढ़ाई जाए इसके संक्रमण को लॉक डाउन से नही रोका जा सकता, लॉक डाउन एक तरह से पोज बटन का काम करता है,पिछले बार भी लॉक डाउन हुए पर सरकार के कामों से लोगो मे भारी निराशा है, बाढ़ और कोरोना के प्रकोप को देखते हुए लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है इसलिए हमलोग ने लगातार मांग की है कि सरकार जो आंकड़े लाती है वो सही आंकड़े लाये उन आंकड़ो में पारदर्शिता लाये और अपनी कमियों को जल्द से जल्द दूर करे क्योंकि लॉक डाउन से सरकार को एक मौका मिलता है और इस मौके का सरकार कोई इस्तेमाल नही कर पा रही है।

आबादी के अनुसार बिहार के मुकाबले अन्य बड़े राज्यों का टेस्टिंग प्रतिदिन 30 से 35 हजार होता है और बिहार का पिछले दो दिन में केवल 10 हजार हुआ है और उससे पहले अगर हम देखे अप्रैल से लेकर जुलाई तक तो पूरा औसत उसका 4159आता है, आप सभी को पता होगा देश के प्रधानमंत्री को भी मुख्यमंत्री ने कई बार बोला है कि हम 20 हजार टेस्ट रोजाना करेंगे, स्वास्थ्य मंत्री को भी निर्देश दिया गया कि प्रतिदिन 10 हजार टेस्ट होने चाहिए लेकिन पिछले दो दिन को छोड़कर बांकी सारे महीने को हम देखे तो ये औसत पूरे देश भर में सबसे कम और निराशाजनक है बल्कि सबसे अधिक कोरोना का कहर पूरे देश भर में बिहार में फैल रहा है और इसको लेकर यहां कोई तैयारी नही है यहां पेसेंट को उनके परिजन ही उनकी देखभाल कर रहे हैं वही ऑक्सीजन से लेकर इंजेक्शन तक वही लगा रहे हैं बार बार कहा जा रहा है कि यहां डॉक्टर और नर्स की कमी है लेकिन सरकार व्यवस्था करने में पूरी तरह से फेल हो चुकी है। मगर सरकार इन सारे तथ्यों पर जवाब देने की बजाय चुप्पी साधे चुनावी गणित साधने में लगी है। लेकिन उसे इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि अगर कोरोना से मौत का आंकड़ा यू ही बढ़ता रहा तो सरकार बनाने का आंकड़ा भी इस बार गड़बड़ हो सकता है। (एजेंसी, हि.स.)

Tags

Related Articles

Back to top button
Close