केंद्रीय पैकेज से दुनिया भर के शेयर बाजार सुनहरे दौर में, पिछले 2 महीनों में घरेलू शेयर बाजार 27 प्रतिशत चढ़ा
नई दिल्ली। भारत सहित दुनियाभर के बाजार केंद्रीय बैंकों के प्रोत्साहन पैकेज से सुनहरे दौर से गुजर रहे हैं। ज्यादातर वैश्विक बाजार मार्च में कोरोना वायरस के डर से आई भारी गिरावट की भरपाई कर चुके हैं।
घरेलू शेयर बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी भी प्रत्येक दिन नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। जहां बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 40 हजार के करीब पहुंच चुका है, वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 12000 के आंकड़ो को छूने के लिए बेताब है। भारतीय शेयर बाजार कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के कारण लगे अप्रत्याशित आर्थिक झटके के बावजूद अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से करीब नौ प्रतिशत दूर है। भारतीय बाजार में पिछले दो महीनों के दौरान 27 प्रतिशत की तेजी आई है। शेयर बाजारों में अचानक बड़ी तेजी इसलिए आई है क्योंकि जी4 देशों के केंद्रीय बैंकों ने बैलेंस शीट का विस्तार किया है, जिससेे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में नकदी की उपलब्धता में भारी इजाफा हुआ है। हालांकि इस बारे में चिंता पैदा हुई है कि क्या यूएस फेडरल रिजर्व इस साल तेज विस्तार के बाद अपनी बैलेंस शीट के विस्तार को रोकेगा। फेडरल रिजर्व के इस साल बैलेंस शीट का विस्तार करने से बाजारों को चढऩे में मदद मिली है। हालांकि ऐसा लगता है कि धन की आसान उपलब्धता बनी रहेगी।
यूरोपीय संघ ने बीते मंगलवार को 850 अरब डॉलर के सुधार फंड की घोषणा की। कमजोर आर्थिक माहौल को मद्देनजर फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंगलैंड समेत जी4 के अन्य सहयोगी देशों के भी ऐसा ही कदम उठाने की संभावना है।
वैश्विक बाजार पर नजर रखने वाली संस्थान मॉर्गन स्टैनली ने एक नोट में अनुमान जताया है कि जी4 देशों के केंद्रीय बैंक वर्ष 2021 के अंत तक अपनी बैंलस शीट में 12 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा करेंगे। मॉर्गन स्टैनली ने 15 जुलाई को एक नोट में कहा, ‘जी4 देशों के केंद्रीय बैंकों ने धन उपलब्धता में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है। हमारा अनुमान है कि इस चक्र में केंद्रीय बैंक 12 लाख करोड़ डॉलर की परिसंपत्तियां खरीदेंगे। अकेला फेडरल रिजर्व ही 2021 के अंत तक के मौजूदा चक्र में कुल 6.2 लाख करोड़ डॉलर की परिसंपत्तियां खरीदेगा।’
विशेषज्ञों ने कहा कि नोटों की छपाई से वैश्विक वित्तीय बाजारों को एक आधार मिलेगा और विकासशील देशों में तरलता में इजाफा होगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च में रिकॉर्ड आठ अरब डॉलर की बिकवाली की थी। उसके बाद इस साल अब तक घरेलू बाजार के निवेश में काफी सुधार आया है। इस समय एफपीआई की निकासी करीब दो अरब डॉलर है।
विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी प्रवाह और इक्विटी बाजारों के लिए इस साल अब तक की बढ़त साल के अंत तक धनात्मक स्तर पर आ सकती है। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक मौद्रिक नीति में नरमी से बढऩे वाली नकदी शेयर बाजार में आएगी तो उनके बीच सीधा सह-संबंध स्थापित करना मुश्किल है। मगर अप्रत्यक्ष रूप से धन आर्थिक प्रणाली में आता है, इसलिए शेयरों की कीमतों में तेजी बरकरार रहेगी।’ न केवल जी4 बल्कि ब्रिक्स देशों (जिसमें भारत भी शामिल है) के भी आगे और राजकोषीय और मौद्रिक उपायों की घोषणा करने की संभावना है। (एजेंसी, हि.स.)