भगोड़ों से कर्ज वसूलने के लिए नियमों में किया जाए जरूरी परिवर्तन : चिदंबरम
नई दिल्ली । बैंक डिफॉल्टर्स के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जारी खींचतान के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा है कि भगोड़े कर्जदारों से वसूली प्रक्रिया में किसी प्रकार की ढील देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर हमारे नियम ही इस वसूली प्रक्रिया की राह में रोड़ा बनते हैं तो इसमें परिवर्तन किया जाना चाहिए।
पी. चिदंबरम ने गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे भगोड़ों को सबक सिखाने तथा पैसे वसूले जाने को लेकर उपाय बताते हुए कहा कि जरूरत के हिसाब से नियमों में थोड़ा परिवर्तन किया जाना चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “कर्जमाफी या बट्टे खाते में डाले जाने पर बहस अप्रासंगिक है। इस पर चर्चा से नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या जैसों को ही आनंद आएगा। जहां तक बात नियमों की है तो इस हमी (इंसानों) न ही तो बनाया है। ऐसे में जरूरत के मुताबिक उस नियम को खत्म या फिर परिवर्तित किया जा सकता है।”
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि इस ऐतिहासिक गलती को दुरुस्त करने का एकमात्र रास्ता है कि भारतीय रिजर्व बैंक सभी संबद्ध बैंकों को निर्देश दे कि वे भगोड़ों से वसूल नहीं किए जा सके लोन को अपने बही-खातों में ‘आउटस्टैंडिंग लोन’ के तौर पर दर्ज कर उसकी वसूली के लिए कारगर कदम उठाएं।”