बाबा केदार की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से केदारनाथ के लिए रवाना, 29 को खुलेंगे कपाट
रुद्रप्रयाग । छह माह अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में प्रवास करने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली रविवार प्रातः साढ़े पांच बजे केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गई है। आज रात्रि को बाबा की डोली गौरीकुण्ड और कल पैदल मार्ग के भीमबली में रुकेगी। 28 अप्रैल सांय को बाबा की डोली केदारनाथ पहुंचेगी और 29 अप्रैल प्रातः छह बजकर दस मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोले जाएंगे।
आज प्रात: बाबा केदार की चल विग्रह शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से सभा मंडप में लाया गया। जहां डोली में बाबा केदार की पांच मुख वाली चांदी की मूर्ति को विराजमान किया गया। इसके बाद बाबा केदार की डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा की और केदारनाथ के लिए रवाना हुई। इस बार बाबा केदार की डोली गौरीकुण्ड तक वाहन से पहुंचेगी। वहां से बाबा की डोली पैदल ही केदारनाथ जायेगी।
अबकी बाबा की डोली के साथ कोई भी वाद्य यंत्र नहीं हैं। पिछले वर्ष तक स्थानीय वाद्य यंत्रों और आर्मी बैंड के साथ बाबा की डोली केदारनाथ जाती थी लेकिन लाॅक डाउन के कारण किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र नहीं हैं। बाबा की डोली ऊखीमठ से ही केदारनाथ पैदल जाती थी लेकिन लाॅकडाउन के कारण इस बार बाबा की डोली वाहन से गौरीकुण्ड तक पहुंचाई गई। बाबा की डोली के साथ केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी के अलावा बद्री-केदार मंदिर समिति के 15 अन्य सदस्यों की टीम है। इसके अलावा कोई भी भक्त बाबा की डोली के साथ नहीं है। उल्लेखनीय है कि डोली को रवाना करते समय भी बाबा को भक्तों से दूर रखा।