शान्ति मन्दिर, मगोद का १८वां वार्षिकोत्सव का समारोह संपन्न हुआ
रमेश तिवारी(बलसाड): गतदिन शान्ति मन्दिर, मगोद का १८वां वार्षिकोत्सव महामण्डले श्वर स्वामी नित्यानन्द सरस्वती जी की अध्यक्षता में आश्रम के भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ ।
श्रीमुक्तानन्द-संस्कृत-महाविद्
अपने ओजस्वी प्रवचन में हरिद्वार से पधारे महामण्डलेश्वर स्वामी आनन्द चैतन्य जी महाराज ने कहा कि श्रीमुक्तानन्द संस्कृत महाविद्यालय की उप्लब्धियों को देखकर लगता है यह महाविद्यालय एक दिन विश्वविद्यालय बनकर रहेगा । आगे भक्ति की व्याख्या करते हुए महाराजश्री ने कहा कि जिस प्रकार तपाने पर तांबे जैसा कठोर धातु भी पिघलकर विभिन्न प्रकार के सुन्दर पदार्थों का रूप ले लेता है उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में तरलता आती है तो समझो कि भक्ति जागृत हुई है । आदि शंकराचार्य जी ने स्व-स्वरूप के अनुसंधान को ही भक्ति कहा है । भक्ति के बिना हम सब अधूरे हैं और जीवन का एकमात्र लक्ष्य भक्ति ही है । उन्होंने आगे कहा कि भक्ति हृदय का विषय है.