पालघर कोर्ट से तीन पानप उम्मीदवारों को मिली हरी झंडी , कोर्ट ने उनकी उम्मीदवारी बहाल करने का दिया आदेश
केशव भूमि नेटवर्क ,पालघर,15 मार्च : पालघर नगर परिषद चुनाव में खड़े कई उम्मीदवारों का फार्म चुनाव अधिकारी द्वारा रिजेक्ट किये जाने के बाद तीन उम्मीदवारों को पालघर कोर्ट ने राहत देते हुए उन्हें चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी दे दिया है . जिसके बाद इन तीन उम्मीदवारों का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया . जिसके बाद अब नगरसेवक पद के उम्मीदवारों की संख्या 88 से बढ़ कर 91 हो गई है .
बता दे पालघर नगर परिषद् में 28 नगर सेवक और नगराध्यक्ष पद के 24 मार्च को पालघर नगर परिषद में चुनाव होने जा रहा है. जिसमें नगर सेवक पद के लिए अब 88 + 3 =91 और नगरअध्यक्ष पद के लिए तिन उम्मीदवार अपनी अपनी किस्मत अजमा रहे है .वही 8 मार्च को उम्मीदवारी फार्म जाँच के दौरान चुनाव अधिकारी ने 29 लोगो के उम्मीदवारी फार्म में खामिया पाये जाने के बाद उनके फार्म को रिजेक्ट कर दिया था .
जिसके बाद आरती हिमालय संखे ,मनसे के सुनील राउत और शिवसेना से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पालघर शिवसेना के नगराअध्यक्ष उत्तम पिम्पले के बेटे प्रथमेश ने इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खट खटाया जिस अपील पर पालघर कोर्ट में जिला जज एसएस गुल्हाने ने गुरुवार को दोनों पक्ष का दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद शुक्रवार को इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इन तीनों उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दिया .
कोर्ट का फैला आने के बाद अपील करने वालो के वकील सुधीर गुप्ता ने चुनाव अधिकारियो काम काज पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा की उम्मीदवारी फार्म जाँच करने की 8 मार्च थी. लेकिन चुनाव अधिकारी प्रथमेश का फार्म एक दिन पहले रिजेक्ट कर दिया . इसे देख कर लगता है की पालघर नगर परिषद् का चुना कैसे निष्पक्ष होगा.
जबकि चुनाव आयोग का आदेश है की फार्म भरने के समय हुयी खामियों और उसके साथ जोड़े गए कागज पत्र कमियों के कारण कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ने से बंचित नहीं रहना चाहिए . उम्मीदवारी फार्म जमा करने से पहले इस फर्म की जांच करके उसके खामियों और उसके साथ जोड़े गए कागज पत्र के कमियों को उम्मीदवारों के संज्ञान में लाकर देना जरुरी है . इसमें से कुछ अधिकारियो ने अपनी जिम्मेदारी नही निभाई जिसके कारण उम्मीदवारों को इतने मुश्किलों का सामना करना पड़ा और कोर्ट का भी समय बर्बाद हुवा इन अधिकारियो के मनमानी के कारण . इस लिए इसकी जाँच होनी चाहिए कि यह चुनाव अधिकारी किस पार्टी के दबाव में काम कर रहे है .
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