पटना/एस. एच. चंचल
पटना। शराब तस्करी रोकने को लेकर पुलिस चौकसी बरतने और कार्रवाई का दावा कर रही है, बावजूद माफिया तंत्र को खत्म नहीं कर पा रही है। समय समय पर शराब की खेप पकड़कर खुद की पीठ थपथपा रही है, लेकिन सच यह है कि शराब के साथ वाहन के चालक या खलासी या फिर शराब सप्लायर के गुर्गो को पकड़ रही है। सरगना तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पा रहे है।
पुलिस रिकॉर्ड में फरार चल रहे 14 शराब माफिया
पिछले दो साल के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में शराब को लेकर छह लाख से अधिक ठिकानों पर छापेमारी हुई। इसमें एक लाख बीस हजार से अधिक मामलों में केस दर्ज हुए और एक लाख तीस हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसके बावजूद शराब पीने और बेचने के मामले में हर रोज गिरफ्तारियां हो रही है।
पटना में पुलिसिया कार्रवाई पर गौर करें तो जनवरी 2018 से मई 2018 के बीच अब तक 3351 कांड दर्ज हो चुके है। शराब पीने, तस्करी करने के मामलों में 6351 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि 164 दो पहिया और 140 चार पहिया और दस पहिया वाहन जब्त किए गए।
पुलिस ने करीब 11 लाख रुपए भी बरामद किए हैं। 24 हजार लीटर से अधिक अंग्रेजी शराब बरामद हुई है। ये आंकड़े सिर्फ पांच माह और पटना के हैं। इनमें अधिकांश फरार शराब माफिया पटना के साथ ही झारखंड और हरियाणा के भी है।
पुलिस की घेराबंदी के बावजूद फरार हो जाते तस्कर
बुधवार को पुलिस ने बिहटा थाना क्षेत्र के अमहारा-कंचनपुर मार्ग पर घेराबंदी करके जलावन लकड़ी के बीच शराब की खेप बरामद किया। सूत्रों की मानें तो शराब के साथ 10 अन्य लोग भी ट्रक पर सवार थे, लेकिन पुलिस मौके से एक युवक का गिरफ्तार कर सकी। अन्य आरोपित पुलिस की नाकेबंदी के बाद भी फरार हो गए। पकड़े आरोपित से पूछताछ में उजागर हुआ कि शराब की खेप हरियाणा से लाई गई थी और उसकी पटना में सप्लाई होने वाली थी।
सवाल यह है कि आखिर शराब की खेप बार्डर से लेकर अन्य चेक पोस्ट पर क्यों नहीं पकड़ी गई? डिमांड किसने किया और शराब सप्लाई करने वाला माफिया कौन है?
खैर यह पुलिस के लिए पहला केस नहीं है। 29 मई को औरंगाबाद-पटना पथ के तरारी गांव के पास पुलिस ने ट्रक से 630 कार्टून अंग्रेजी शराब जब्त किया। चालक और सह चालक को गिरफ्तार कर लिया। दोनों छत्तीसगढ़ के निवासी थे। शराब छत्तीसगढ़ से लोड की गई थी और कोलकाता से पटना लाई जा रही थी। चालक से पूछताछ के बाद भी सरगना तक पुलिस नहीं पहुंच सकी।
पिछले साल नवंबर में बाईपास थाना क्षेत्र में पुलिस ने ट्रक में लदे 500 कार्टून शराब जब्त किया। शराब हरियाण से पटना लाई जा रही थी। पुलिस ने ट्रक चालक और सह चालक को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने एक मोबाइल नंबर दिया था।
दिसंबर 2017 में पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र के इंडस्ट्रीयल एरिया से टैंकर में शराब की खेप बरामद किया। बुकिंग राजस्थान से और शराब हरियाणा से लोड की गई थी। इस मामले में सरगना रंजीत का नाम सामने आया था।
इसी तरह फरवरी 2017 में सीवान से पटना लाए जा रहे दो कंटेनर पर लदी 340 कार्टून शराब बरामद हुई। पुलिस ने दोनों कंटेनर के चालकों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शराब की खेप कहां और किसकी डिमांड पर मंगाई गई इस मामले की जांच करना पुलिस ने उचित नहीं समझा।
उजागर हो चुकी पुलिस-माफिया सांठगांठ
बीते 19 मई को गया के एसएसपी राजीव मिश्रा ने गया जिले के चाकंद थाना प्रभारी को तीन लाख रुपए घूस लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। शराब से लदा ट्रक छोडऩे के एवज में रकम ली गई थी। खैर यह पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व 28 मार्च 2017 को पटना के गौरीचक थाने के मुंशी का शराबी छोडऩे के एवज में घूस लेते वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी मनु महाराज ने उसे सस्पेंड कर दिया था।
चार दिसंबर 2017 को सिवान जिले के दारौंदा थाने के एएसआइ को पुलिस अधीक्षक सौरभ कुमार ने शराब बरामदगी के दौरान आरोपित को छोडऩे के मामले में निलंबित किया था।
पटना के एसकेपुरी थाने में तैनात एएसआइ को शराब पीने के आरोपित को पैसे लेकर छोडऩे के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया। अब ऐसे में माफिया को जानबूकर पुलिस नहीं पकड़ रही या पकडऩा नहीं चाह रही आसानी से समझा जा सकता है।