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बदल रहे हैं नीतीश के सुर , क्या फिर होगा बीजेपी से जेडीयू का तलाक?

नई दिल्ली (ईएमएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बीजेपी के साथ असहजता बढ़ती जा रही है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई घटनाओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नीतीश के बार-बार कथि‍त अपमान की वजह से जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के रिश्तों में फिर से दरार आनी शुरू हो गई है। पिछले दो हफ्तों में कम से कम चार बार नीतीश कुमार ने बीजेपी के बड़े भाई जैसे रवैए पर नाखुशी जाहिर की है। गत 17 मई को नीतीश ने आल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जो मोदी सरकार के सिटीजनशिप बिल के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। यह बिल बीजेपी के लिए राजनीतिक रूप से काफी संवदेनशील मसला है। इस बिल में कहा गया है कि पड़ोसी देशों के हिंदुओं को अगर धर्म के आधार पर परेशान किया जाता है तो उन्हें भारत में नागरिकता दी जाए। नीतीश ने आसू के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि वह मोदी को पत्र लिखकर इस बिल को रोकने की मांग करेंगे। इसका मतलब यह है कि मोदी सरकार यदि संसद में यह बिल लाती है तो जेडीयू इसका विरोध कर सकती है।

साल 2016 में नोटबंदी के बाद गत 26 मई को नीतीश कुमार ने पहली बार इस पर सवाल उठाए। पटना में आयोजित एक बैंकिंग सम्मेलन में उन्होंने कहा, मैं नोटबंदी का प्रबल समर्थक था, लेकिन इससे कितने लोगों को फायदा हुआ? कुछ ताकतवर लोगों ने अपनी नकदी एक जगह से दूसरे जगह भेज दी, गरीब परेशान हुए। विपक्षी दलों ने भी नोटबंदी के मामले में मोदी सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाए थे। इसके एक दिन बाद ही नीतीश कुमार को नाराज करने का एक और वाकया हो गया। मोदी सरकार ने बिहार सरकार को बाढ़ राहत के लिए 1750 करोड़ देने को कहे थे, लेकिन बिहार को वास्तव में सिर्फ 1250 करोड़ रुपए ही मिले। नीतीश कुमार इस बाढ़ राहत पैकेज से खुश नहीं हैं। 29 मई को नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि बिहार और अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने की मांग पर वित्त आयोग को पुनर्विचार करना चाहिए। यह नीतीश कुमार की काफी पुरानी मांग है।

लेकिन बीजेपी के साथ उनके सरकार बनाने के बाद से ही यह ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था। अब उन्होंने इस दबे मसले को फिर से बाहर निकाला है। यह मसला उन्होंने ऐसे समय में बाहर निकाला है, जब विपक्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए मोदी विरोधी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसा लगता है कि नीतीश अपनी स्थिति में ऐसा सुविधाजनक बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि एनडीए या एनडीए के बाहर के लोगों से मोलतोल कर सकें।

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