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रूस से मिसाइल खरीदने के लिए भारत ने मांगी अमेरिका की सहमति

नई दिल्ली (ईएमएस)। रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार अमेरिका की सहमति चाहती है। लगभग 39 हजार करोड़ की इस डील के लिए भारत को अमेरिका के एक कानून के तहत छूट की आवश्यकता है। अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने अमेरिका को बताया है कि रूस से हथियार और साजोसामान पर निर्भरता भारत अचानक कम नहीं कर सकता, क्योंकि दोनों देशों के बीच दशकों से रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग चल रहा है।

अमेरिका में डिफेंस और स्ट्रैटेजी से जुड़ा एक वर्ग भी इस मामले में भारत के साथ है। उसका मानना है कि अगर भारत पर बंदिशें लगाई जाती हैं तो इससे अमेरिका के साथ उसके रिश्ते खराब हो सकते हैं। साउथ और साउथईस्ट एशिया के लिए अमेरिका के उप-रक्षामंत्री जो फेलर ने हाल ही में कहा था, हमें भारत की आशंकाओं की जानकारी है। पिछले महीने हुई उच्चस्तरीय बैठकों में इस पर बात हुई थी। हम आपसी संबंध मजबूत करना चाहते हैं और इनमें कमी नहीं चाहते। भारत और अमेरिका ने हाल में रक्षा क्षेत्र में कुछ बड़े समझौते किए हैं। अब भारत के लिए अमेरिका दूसरा सबसे बड़ा डिफेंस सप्लायर बन गया है। खासतौर पर एयरक्राफ्ट और आर्टिलरी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग काफी बढ़ा है। हालांकि, भारत अब भी सबमरीन और मिसाइल के लिए रूस पर निर्भर है, क्योंकि अमेरिका इन्हें उपलब्ध कराने में दिलचस्पी नहीं रखता। भारत हाई-एंड वेपन सिस्टम चाहता है। वह दुनिया में अकेला ऐसा देश है, जिसका दो परमाणु पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवाद है। भारत ने दोनों के खिलाफ युद्ध लड़ा है।

भारत को रूस से सप्लाई बंद करने के लिए मजबूर करने पर उसकी सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा होगा। रूस का दावा है कि उसका एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम काफी ताकतवर है। उसने चीन को इसकी सप्लाई शुरू की है और सीरिया में भी इसे तैनात किया है। भारत और रूस ने 2016 में वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने का एक समझौता किया था। इसके बाद से दोनों देश इससे जुड़े कॉन्ट्रैक्ट को लेकर मोलभाव कर रहे हैं। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामण और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु के बीच मॉस्को में इस महीने की शुरुआत में हुई मीटिंग में एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की डील पर चर्चा हुई थी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अक्टूबर में भारत आने का कार्यक्रम है। उससे पहले इस डील पर बातचीत पूरी होने की संभावना है।

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